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हरिहर रूप की कथा
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स्वयं विष्णु शिव को अपना भगवान कहते हैं, हालांकि दोनों के काम बंटे हुए हैं। शिव प्रत्यक्ष रूप में किसी की आराधना नहीं करते, बल्कि सबसे मैत्रीभाव रखते हैं। हां, वह शक्ति की आराधना ज़रूर करते हैं, जो कि उन्हीं के भीतर समाई हुई है। शिव और विष्णु ने अपनी एकरूपता दर्शाने के लिए ही ‘हरिहर’ रूप धरा था, जिसमें शरीर का एक हिस्सा विष्णु यानी हरि और दूसरा हिस्सा शिव यानी हर का है।
 
'''हरिहर रूप की कथा'''
 
एक बार भगवान शिव को पूजने वाले शैव और भगवान विष्णु को पूजने वाले वैष्णव हैं एक बार दोनों पंथ में विवाद हो गया कि शिव और विष्णु में कौन है | शैव बोले कि शिव श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे कालों के काल हैं और पापियों का संहार करतें हैं | वैष्णव बोले कि नहीं विष्णु श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे इस जगत के लोगों को पालते हैं यह विवाद इतना बढ़ गया कि भगवान विष्णु और भगवान शिव को स्वयं उनका क्रोध शांत करने के लिए आना पड़ा | भगवान शिव और भगवान विष्णु अपने अर्ध रूप में प्रकट हो गए यह देखकर शैव और वैष्णव समझ गए कि [[शिव]] और [[विष्णु]] एक ही हैं |
 
== सन्दर्भ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हरिहर" से प्राप्त