"मृगनयनी": अवतरणों में अंतर
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'''मृगनयनी'' [[वृंदावनलाल वर्मा|वृन्दावनलाल वर्मा]] की प्रसिद्ध ऐतिहासिक रचना है। इसमें १५वीं शती के [[ग्वालियर रियासत|ग्वालियर राज्य]] के राजपूत राजा [[राजा मानसिंह तोमर|मानसिंह तोमर]] तथा उनकी गुर्जरी रानी मृगनयनी की प्रेम कथा है।इसके माध्यम से मानसिंह तोमर का चरित्र चित्रण किया गया है। साथ ही तत्कालीन [[ग्वालियर रियासत]] एवं इतिहास की भी झलक देखने को मिलती है।
==कथासार==
<ref>{{Cite web |url=http://www.favreads.in/book-review/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A5%80/ |title=मृगनयनी |access-date=13 अप्रैल 2019 |archive-url=https://web.archive.org/web/20190417082645/http://www.favreads.in/book-review/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%97%E0%A4%A8%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A5%80/ |archive-date=17 अप्रैल 2019 |url-status=dead }}</ref>
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लाखी की माँ मर गई, इसलिए लाखी, निम्मी और अटल के पास रहने लगी। गयासुद्दीन खिलजी ने, नटो के सरदार को निम्मी और लाखी को लाने के लिए, योजना तैयार की। नटों और नटनियों ने निम्मी और लाखी को फुसलाना प्रारम्भ किया।
एक दिन राजा मानसिंह शिकार खेलने राई गाँव पहुँचे। निम्मी के सौन्दर्य और शिकार मे लक्ष्यवेध से मुग्ध होकर [[विवाह]] करके उसे ग्वालियर ले
निन्नी गूजर थी और राजा क्षत्रिय इसलिये गाववालों ने मान सिंह और गुज्जरी के विवाह का विरोध किया। पुजारी ने उनका विवाह नही कराया । वे नटों के दल के साथ नरवर के किले की तरफ आ गये। लाखी को नटों के षडयंत्र का पता लग गया, इसलिए उसने उनके षडयन्त्र को विफल कर उन्हे समाप्त कर दिया। महाराजा मानसिंह अटल और लाखी को ले गए और ग्वालियर मे उनका विवाह हुआ । निम्मी, विवाह के पश्चात 'मृगनयनी' के नाम से प्रसिद्ध हुई। मृगनयनी के पहले राजा के आठ पत्नियाँ थीं जिनमे सुमनमोहिनी सबसे बड़ी थी। इसी के पुत्र को राजगद्दी मिली क्योंकि निन्नी निचली जाती की होने के कारण इसके पुत्र को राजगद्दी ना देकर कुछ गांव दिए जिससे नाराज होकर निन्नी अपने पुत्रों को लेकर चली गयी और वहीं से गुज्जरों मैं तँवर गोत्र की शुरुआत हुई
==सन्दर्भ==
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