"कलवार (जाति)": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
(कलालचूँकि कलारउनके कलवार)शराब वेदोंबनाने और पुराणोंविक्रय मेंकरने प्रमाणका मिलतावंशानुगत हैव्यवसाय कितुच्छ इनकेमाना पूर्वजजाता हैहयवंशीहै, कलचुरीइसके थेअतिरिक्त जोदक्षिण शासनएशिया करतेकी थेजाति लेकिनव्यवस्था जबमें इनका राजवंश समाप्त होनेकलाल को आयानिम्न वैसे वैसे ये लोग शराब व्यवसायवर्ग में आते रहे, चूँकि उनके शराब बनाने और विक्रय करने का वंशानुगत व्यवसाय तुच्छ माना जाता है ।है। यह स्थिति तब बदल गयी जब कलाल प्रमुख [[जस्सा सिंह अहलुवालिया|जस्सा सिंह]] की १८वीं सदी में राजनीतिक शक्ति बढ़ी। जस्सा सिंह ने अपनी पहचान को अहलुवालिया के रूप में ही रखा जो उनके पैदाइसी गाँव का नाम है। इसी नाम से उन्होंने [[कपूरथला राज्य]] की स्थापना की।<ref name="Donald_1968">{{cite book |author=डोनाल्ड एंथनी लॉ |title=Soundings in Modern South Asian History |trans-title= आधुनिक दक्षिण एशियाई इतिहास की आवाज |url=https://books.google.com/books?id=WfD02m8q8eYC&pg=PA70 |year=1968 |publisher=कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी प्रेस |oclc=612533097 |pages=70–71 }}</ref>
 
जस्सा सिंह से प्रेरित होकर अन्य [[सिख]] कलालों ने अहलुवालिया उपनाम को स्वीकार कर लिया और अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोड़ दिया। शराब के निर्माण और विक्रय पर [[ब्रिटिश राज|ब्रितानी प्रशासनिक उपनिवेश]] द्वारा लगाये गये नियमों ने इस प्रक्रिया को और तेजी से कम कर दिया और २०वीं सदी की शुरुआत में अधिकतर कलालों ने पुस्तैनी व्यवसाय को छोड़ दियादिया। इसी औरसमय कलालसे जातिअहलुवालिया एकतालोगों काने परिचयअपनी देतेस्थिति हुएको ज्यादातर[[खत्री]] कलालोंअथवा ने[[राजपूत]] मूल के रूप समाजमें एकताप्रस्तुत काकरना फैसलाआरम्भ लियाकर दिया।<ref name="Donald_1968"/>
महाराजा जस्सा सिंह अहलूवालिया द्वारा लाहौर विजय के उपलक्ष्य एक सिक्का चलाया गया था जिस पर उनका नाम 'जस्सा कलाल' अंकित था। इस सिक्के का वर्णन ग्रन्थ 'पंथ-प्रकाश' में मिलता है।
इसलिए आज के कल्चुरी कलाल अहलूवालिया, क्षत्रिय मेवाड़ा, कलार, कलवार, कपूरथला रियासत का सिख अहलूवालिया राजवंश और राजपुताने के चोपदार अहलूवालिया(कलाल) वंशज ही कल्चुरी क्षत्रियों के वास्तविक वंशज हैं। हालांकि कुछ कलालों ने 12 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में राजपूत राजाओं के लिए मद्य बनवाना शुरू कर दिया था । हालांकि कुछ अंश मात्र कलालों ने ही मद्य बनाने का कार्य किया था, अधिकांश ने नहीं और ये सिर्फ राजाओं के लिए ही मद्य बनवाते थे,
Note- (मद्य खटिक जाति के लोगो के द्वारा बनवाया जाता था ) सभी के लिए नहीं। इनके ऐतिहासिक कार्य कपूरथला के राजवंश से स्वत: ही स्पष्ट हो जाते हैं। ये आज भी उन्ही रीति-रिवाज और परम्पराओं का पालन करते है जो अन्य क्षत्रियों में विद्यमान है। इसलिए इन कल्चुरी क्षत्रियों का आज भी एक अलग अस्तित्व है।
 
<ref name="Donald_1968"/>
 
==इन्हें भी देखें==