"आलोचनात्मक चिन्तन": अवतरणों में अंतर
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[[तथ्य|तथ्यों]] का वस्तुपरक विश्लेषण (objective analysis) करते हुए कोई निर्णय लेना '''आलोचनात्मक चिन्तन'''' या '''समीक्षात्मक चिन्तन''' (क्रिटिकल थिंकिंग) कहलाता है। यह विषय एक जटिल विषय है और आलोचनात्मक चिन्तन की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ हैं जिनमें प्रायः तथ्यों का औचित्यपूर्ण, स्केप्टिकल और पक्षपातरहित विश्लेषण शामिल होता है।
==समीक्षात्मक चिन्तन सम्बन्धी अनुसन्धान==
एडवर्ड एम ग्लेसर (Edward M. Glaser) के अनुसार समीक्षात्मक चिन्तन के लिए तीन बातें जरुरी हैं-
*(१) व्यक्ति के समक्ष आने वाली समस्याओं और विषयों को गहराई से विचारने की प्रवृत्ति
*(२) तर्कपूर्ण परीक्षण और विचारणा की विधियों का ज्ञान
*(३) इन विधियों को लागू करने का कुछ कौशल
==समीक्षात्मक चिन्तन की शिक्षा==
शैक्षिक चिन्तकों में [[जॉन डिवी]] ने सबसे पहले पहचाना कि समीक्षात्मक चिन्तन के कौशल को बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों, समाज और सम्पूर्ण लोकतंत्र को लाभ होगा।
[[इंग्लैण्ड]] और वेल्श के स्कूलों में १६ से १८ वर्ष के आयुवर्ग के विद्यार्थी समीक्षात्मक चिन्तन एक विषय के रूप में ले सकते हैं।
===प्रभावकता===
सन १९९५ में [[उच्च शिक्षा]] की प्रभावकता से सम्बन्धित साहित्य का विश्लेषण करने से पता चला कि उच्च शिक्षा, उच्च शिक्षित नागरिकों की आवश्यकता की पूर्ति करने में असफल रही है। इस विश्लेषण का निष्कर्ष यह था कि यद्यपि प्राध्यापक विद्यार्थियों में चिन्तन के कौशलों को विकसित करने की इच्छा रखते हैं किन्तु वास्तविकता में वैसा नहीं हो पाता और विद्यार्थी प्रायः निम्नतम श्रेणी के चिन्तन का उपयोग करते हुए तथ्यों और कांसेप्ट को जानने का ही लक्ष्य रखते हैं।
==इन्हें भी देखें==
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