"आलोचनात्मक चिन्तन": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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* यह आवश्यक नहीं है कि समीक्षात्मक चिन्तन पर आधारित तर्क सदा सबसे अधिक अनुनयात्मक (persuasive) हों। प्रायः देखने में आता है कि डर, दबाव, आवशयकता आदि साबसे मूलभूत भावनाओं का सहारा लेकर किये गये तर्क ज्यादा अनुनयात्मक होते हैं।
==समीक्षात्मक चिन्तन के विभिन्न चरण==
* पहला चरण : समीक्षात्मक चिन्तक की अभिवृत्ति धारण करना
* दूसरा चरण : समीक्षात्मक चिन्तक के मार्ग में आने वाली बाधाओं और पक्षपात (biases) को समझना
* तीसरा चरण : तर्कों की पहचान करना और उनका विशिष्टीकरण (characterization) करना
* चौथा चरण : सूचना (जानकारी) के स्रोतों का मूल्यांकन और परीक्षण
* पाँचवाँ : तर्कों का मूल्यांकन
==इन्हें भी देखें==
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