"कृत्तिका": अवतरणों में अंतर
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'''कृत्तिका''' वा '''कयबचिया''' एक [[नक्षत्र]] है। इसका लैटिन/अंग्रेजी में नाम [[Pleiades]] है। पृथ्वी से देखने पर पास-पास दिखने वाले कई तारों का इस समूह को भारतीय खगोलशास्त्र और हिन्दू धर्म में [[सप्तर्षि तारामंडल|सप्त ऋषि]] की पत्नियां भी कहा गया है।
कृत्तिका एक तारापुंज है जो [[आकाश]] में [[वृष]] राशि के समीप दिखाई पड़ता है। कोरी आँख से प्रथम दृष्टि डालने पर इस पुंज के तारे अस्पष्ट और एक दूसरे से मिले हुए तथा किचपिच दिखाई पड़ते हैं जिसके कारण बोलचाल की भाषा में इसे किचपिचिया कहते हैं। ध्यान से देखने पर इसमें छह तारे पृथक पृथक दिखाई पड़ते हैं। दूरदर्शक से देखने पर इसमें सैकड़ों तारे दिखाई देते हैं, जिनके बीच में [[निहारिका|नीहारिका]] (Nebula) की हलकी धुंध भी दिखाई पड़ती है। इस [[तारा गुच्छ|तारापुंज]] में ३०० से ५०० तक तारे होंगे जो ५० प्रकाशवर्ष के गोले में बिखरे हुए हैं। केंद्र में तारों का घनत्व अधिक है। चमकीले तारे भी केंद्र के ही पास हैं। कृत्तिका तारापुंज [[पृथ्वी]] से लगभग ५०० प्रकाशवर्ष दूर है।
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