"नेति नेति": अवतरणों में अंतर
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इस पथ में युक्ति-तर्क के आधार पर यह सिद्ध किया जाता है कि - ' ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या '। ' नेति नेति ' करते हुए आत्मा की उपलब्धि करने का नाम ज्ञान है। पहले ' नेति नेति ' विचार करना पड़ता है। ईश्वर पंचभूत नहीं है, इन्द्रिय नहीं हैं, मन, बुद्धि, अहंकार नहीं हैं, वे सभी तत्वों के अतीत हैं।
वेदान्त की नेति नेति कैसी है ? यह ऐसी है कि नेति नेति माने क्या है ?
ये आत्मा है ? उत्तर - न !
स्थूल शरीर आत्मा है ? ?
उत्तर: न !
सूक्ष्म शरीर आत्मा है ?
उत्तर: न!
कारण शरीर आत्मा है ?
उत्तर: न।
पंचकोष आत्मा है?
उत्तर: न !
देवी देवता आत्मा हैं ?
उत्तर: न!
इस प्रकार से जब सम्पूर्ण उपाधियों का नेति -नेति के द्वारा निषेध कर दोगे ! तब फिर ( विद्यात् एक्यैः महावाक्यं ) महावाक्य पर विचार करके,
जब आप आत्मा और परमात्मा की एकता को जान लोगे ! तब आपका कल्याण हो जाएगा ।
== इन्हें भी देखें ==
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