"चाणक्य": अवतरणों में अंतर

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[https://lyricscloser.com/chanakya-niti-in-hindi-चाणक्य-नीति-के-अनुसार-इ/ कौटिल्य की कृतियों] के संबंध में भी कई विद्वानों के बीच मतभेद पाया जाता है। कौटिल्य की कितनी कृतियाँ हैं, इस संबंध में कोई निश्चित सूचना उपलब्ध नहीं है। कौटिल्य की सबसे महत्त्पूर्ण कृति अर्थशास्त्र की चर्चा सर्वत्र मिलती है, किन्तु अन्य रचनाओं के संबंध में कुछ विशेष उल्लेख नहीं मिलता है।
 
चाणक्य के शिष्य [[कामन्दकीय नीतिसार|कामंदक]] ने अपने 'नीतिसार' नामक ग्रंथ में लिखा है कि विष्णुगुप्त चाणक्य ने अपने बुद्धिबल से अर्थशास्त्र रपीरूपी महोदधि को मथकर [[नीतिशास्त्र]] रूपी अमृत निकाला। चाणक्य का 'अर्थशास्त्र' संस्कृत में राजनीति विषय पर एक विलक्षण ग्रंथ है। इसके नीति के श्लोक तो घर घर प्रचलित हैं। पीछे से लोगों ने इनके नीति ग्रंथों से घटा बढ़ाकर वृद्धचाणक्य, लघुचाणक्य, बोधिचाणक्य आदि कई नीतिग्रंथ संकलित कर लिए। चाणक्य सब विषयों के पंडित थे। 'विष्णुगुप्त सिद्धांत' नामक इनका एक [[ज्योतिष]] का ग्रंथ भी मिलता है। कहते हैं, [[आयुर्वेद]] पर भी इनका लिखा 'वैद्यजीवन' नाम का एक ग्रंथ है। [[न्यायशास्त्र (भारतीय)|न्याय]] भाष्यकार [[वात्स्यायन]] और चाणक्य को कोई कोई एक ही मानते हैं, पर यह भ्रम है जिसका मूल [[हेमचन्द्राचार्य|हेमचंद]] का यह श्लोक है:
: ''वात्स्यायन मल्लनागः, कौटिल्यश्चणकात्मजः। ''
: ''द्रामिलः पक्षिलस्वामी विष्णु गुप्तोऽंगुलश्च सः॥''