"चाणक्य": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो 2405:201:A406:50BE:EC5A:46FB:B0DF:A525 (Talk) के संपादनों को हटाकर Choudhary Shrikant singh के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 88:
[https://lyricscloser.com/chanakya-niti-in-hindi-चाणक्य-नीति-के-अनुसार-इ/ कौटिल्य की कृतियों] के संबंध में भी कई विद्वानों के बीच मतभेद पाया जाता है। कौटिल्य की कितनी कृतियाँ हैं, इस संबंध में कोई निश्चित सूचना उपलब्ध नहीं है। कौटिल्य की सबसे महत्त्पूर्ण कृति अर्थशास्त्र की चर्चा सर्वत्र मिलती है, किन्तु अन्य रचनाओं के संबंध में कुछ विशेष उल्लेख नहीं मिलता है।
चाणक्य के शिष्य [[कामन्दकीय नीतिसार|कामंदक]] ने अपने 'नीतिसार' नामक ग्रंथ में लिखा है कि विष्णुगुप्त चाणक्य ने अपने बुद्धिबल से अर्थशास्त्र
: ''वात्स्यायन मल्लनागः, कौटिल्यश्चणकात्मजः। ''
: ''द्रामिलः पक्षिलस्वामी विष्णु गुप्तोऽंगुलश्च सः॥''
|