"सैयद अहमद ख़ान": अवतरणों में अंतर

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== प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा==
सैयद अहमद ख़ाँ का जन्म 17 अक्टूबर 1817 में [[दिल्ली]] के सादात (सैयद) ख़ानदान में हुआ था। उन्हे बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक़ था और उन पर [[पिता]] की तुलना में माँ का विशेष प्रभाव था। माँ के कुशल पालन पोषण और उनसे मिले संस्कारों का असर सर सैयद के बाद के दिनों में स्पष्ट दिखा, जब वह सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में आए। 22 वर्ष की अवस्था में पिता की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और थोड़ी सी शिक्षा के बाद ही उन्हें आजीविका कमाने में लगना पड़ा। उन्होने 1830 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] में लिपिक के पद पर काम करना शुरू किया, किंतु 1841 ई. में [[मैनपुरी]] में उप-न्यायाधीश की योग्यता हासिल की और विभिन्न स्थानों पर न्यायिक विभागों में काम किया। हालांकि सर्वोच्च ओहदे पर होने के बावज़ूद अपनी सारी ज़िन्दगी उन्होने फटेहाली में गुज़ारी।
एक महान इस्लामी विद्वान सर सैयद अहमद खान हैं। वे(1818 ईस्वी) में दिल्ली में जन्मे हुआ उनके पिता अकबर शाह के शासनकाल के दौरान भारत आ गए थे उन्होंने अपने चाचा के सचिव के रूप में काम करना शुरू किया, जो ब्रिटिश शरिया कोर्ट के सदस्य थे।
وہ ۱۲۳۴ھ (۱۸۱۸ء) میں دہلی میں پیدا ہوا۔ اسکے باپ نے اکبر شاہ کے دور حکومت میں ہندوستان ہجرت کی تھی۔۱۸۳۷ء میں اس نے اپنے تایا کے سیکر ٹری کے طور پر کام کر ناشروع کیا جو برطانوی د ہلی شرعی عدالت کا جج تھا۔ ۱۸۴۱ء میں سر سید کو جج بنادیا گیا اور ۱۸۵۵ء میں اعلی جج کے عہدے پر ترقی دے دی گئی۔
 
== कृतियाँ==