"खेजड़ी": अवतरणों में अंतर

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[[राजस्थानी|राजस्थानी भाषा]] में [[कन्हैयालाल सेठिया]] की कविता ''''मींझर'''' बहुत प्रसिद्द है है. यह थार के रेगिस्तान में पाए जाने वाले वृक्ष '''खेजड़ी''' के सम्बन्ध में है. इस कविता में खेजड़ी की उपयोगिता और महत्व का सुन्दर चित्रण किया गया है. <ref>http://wikisource.org/wiki/%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%9C%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B2%E0%A5%8B/%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE</ref>
 
==संदर्भ==
 
<references/>
 
[[श्रेणी:वनस्पति]]