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संख्यात्मक नियंत्रण के लिए जो मशीन औजार लिए गए हैं वे ये हैं - जिग वेधन मशीनें, पेषण तथा खराद मशीनें।
 
==स्वयंचालित मशीनों पर नियंत्रण के प्रकार - ==

(1.) यांत्रिक युक्तियाँ-गीयर, लीवर, पेंच, कैम (Cams) तथा ग्राम (Clutches) हैं।
 
मशीन के विभिन्न प्रचालनों के नियंत्रणार्थ ये युक्तियाँ सरलतम तथा सामान्य हैं। ये स्वयंचालित भरण (feeding) में तथा दाबयंत्र (Presses) और पेंचमशीनों के विभिन्न पुर्जों के हटाने में भी प्रयुक्त होती हैं। कैम विभिन्न स्लाडडों की गति को नियंत्रित करते हैं तथा स्वयंचालित खराद मशीनों का संभरण करते तथा उन्हें गति प्रदान करते हैं।
 
(2) द्रवचालित युक्तियाँ - विभिन्न मशीन स्लाइडों का स्वचालित संचालन किसी बेलन के भीतर कार्य कर रहे तेल-दाब से होता है।
 
==अनुरेखक नियंत्रण==
कंटिका टेंपलेट का अनुसरण करती है और औजारों की गति कंटिका द्वारा द्रवचालित या वैद्युतीय युक्तियों से नियंत्रित की जाती है। अनुरेखक नियंत्रण एक, दो या तीन विमाओ (dimensions) में कार्य कर सकते हैं। एक दिशा में नियंत्रण खरादों पर होता है जहाँ औजार भीतर तथा बाहर पल्याण (Saddle) के साथ गति करता है। अंस (shoulder) में पल्याण का अनुदैर्ध्य संचलन स्वत: पकड़ में आ जाता है।
 
द्विविम अनुरेखक नियंत्रण या तो कर्तक (Cutter) को घुमाता है या समकोणिक दिशा में कार्य करता है। टेंपलेट के संपर्क का कंटिका, विक्षेप की दिशा और मात्रा के अनुपात में संकेत भेजता है। इलेक्ट्रानीय (Electronic) युक्ति दो संभरण (two feed) मोटरों की गति नियंत्रित करते हैं ताकि मच (table) की परिणामी (Resultant) गति कटिका के साथ संसर्ग में टेंपलेट पर स्पर्शीय हो।
 
==संख्यात्मक नियंत्रण==
प्रतिलिपि विधि में, जैसा ऊपर कहा गया है, टेंपलेट या प्रतिरूप का उत्पादन आवश्यक है जो स्वयं में कठिनाइयों और विलंब प्रस्तुत कर सकता है। इलेक्ट्रानीय नियंत्रण, टेंपलेट या प्रतिरूप के प्रयोग का निराकरण करता है तथा चुंबकीय और छिद्रित (Perforated) टेप द्वारा संचित सूचनाओं से विभिन्न भागों का यथार्थता से पुनरुत्पादन होता है। टेप पर अंकित सूचना की व्याख्या के तथा उचित समय पर m/c को संकेत भेजने के लिए उपयुक्त उपस्कर (equipment) की आवश्यकता होती है। ये संकेत m/c पर एक नियंत्रक युक्ति द्वारा ग्रहण किए जाते हैं जो m/c को आदेश पालन कराते हैं। m/c औजारों के संख्यात्मक नियंत्रण के दो प्रमुख वर्ग हैं :
 
(i) m/c और स्लाइडों का नियत स्थानीकरण अर्थात् कर्तन से पहले पूर्वनिर्धारित स्थानों पर औजारों का घुमाना, जैसे छेदन (Drilling), रीमिंग (Reaming) और वेधन (Boring)।
 
(ii) बहुत सी स्लाइडों का सतत नियंत्रण जहाँ उनकी आपेक्षिक स्थितियाँ और वग अवश्य नियंत्रित होने चाहिए। यह वक्र तलों को मशीनित करने के लिए प्रयुक्त होता है जहाँ औजार हमेशा चलते रहना चाहिए जिसमें मशीन वांछित वक्र बनाती रहे।
 
इन दोनों प्रणालियों में कुछ बुनियादी साम्य हैं जिनमें 4 तत्व मुख्य हैं-
 
1. निविष्ट (In put) युक्ति
 
2. मापन
 
3. तुलना
 
4. सर्वोस (Servos) की स्थिति
 
मशीनिंग के लिए पूरी सूचना "प्रक्रम इंजीनियर" द्वारा तैयार की जाती है ताकि मशीन की सभी गतियाँ पूर्व निर्धारित रहें मशीन परिचर (attendant) पर आश्रित न हो।
 
इसमें निम्न सोपान हैं-
 
1. सभी यांत्रिक विवरणों को ज्ञात करना - यथा, कर्तक का प्रकार, कर्तन का क्रम (Order) और कर्तनों को संख्या।
 
2. उपयुक्त दत्त (Datum) से सभी प्रमुख विमाओं का परिकलन (calculation)
 
द्विविम नियंत्रण हेतु सभी बिंदुओं के और निर्देशांकों (Coordinates) की गणना चुने हुए दत्त से कर ली जाती है। यह पार्ट (Part) के ब्लू पिं्रट (Blue print) से प्राप्त होता है।
 
3. कार्यक्रम निर्धारण - मशीनिंग के लिए विस्तृत निर्देश अंकों और शब्दों का प्रयोग कर संकेतों (Codes) में तैयार किए जाते हैं।
 
कर्तक के व्यास, कर्तक-भरण-दर और नियंत्रण दर आदि की रचना के लिए संकेत प्रयुक्त होते हैं।
 
4. ये निर्देश विशिष्ट भाषा में कार्डों पर छिद्रित होते हैं। ये छिद्रित कार्ड एक परिकलन यंत्र (Computer) में छोड़े जाते हैं जो कागज के टेप पर बने छिद्रित छेदों में विशिष्ट भाषा का अनुवाद कर देते हैं। यदि बीच की स्थितियों की सूचना की आवश्यकता पड़ती है तो टेप, परिकलनयंत्र पर लगा दिया जाता है जो कर्तक की निर्देशांक स्थिति को गणना कर देता है, वह फिर चुंबकीय टेप पर लपेट दिया जाता है जिसका उपयोग निविष्ट माध्यम की तरह थ्र्/ड़ औजार नियंत्रक ईकाई के लिए किया जाता है।
 
5. टेप पाठ्यांक सिरे पर लगाते है जो नियंत्रण इकाई का नियंत्रक को निर्देश भेजता है और बाद में मशीन स्लाइडों को नियंत्रित करता है। वही टेप बार बार प्रयुक्त हो सकता है और इस प्रकार चक्र (cycle) की पुनरावृत्ति होती रहती है।
 
==प्रति संभरण (Feed back)==
वांछित स्थिति से किसी विचलन को सही करने के लिए इसका प्रयोग होता है। यह वांछित शर्त से m/c की च्युति (Drift) प्रवृत्ति को दूर करने का साधन है। उदाहरणतया यदि m/c मंच की स्थिति नियंत्रित की जाती है, तो प्रतिसंभरण नियंत्रक को वापसी संकेत भेजता है तथा आवश्यकता पड़ने पर संकेतों में शुद्धि की जाती है।
 
मंच स्थिति की त्रुटि निकाली जाती है तथा संकेत नियंत्रण इकाई को भेजे जाते हैं जो नियमन मोटर द्वारा मंच स्थिति को शुद्ध कर देते हैं।
 
मशीन औजारों के प्रयुक्त होने पर संख्यात्मक नियंत्रण, सभी कर्तक चालों, पूर्ण पथ, वर्क पीस के सापेक्ष कर्तक की संभरण दर तथा अन्य सहायक फलन (auxiliary function) यथा खरादन, कर्तन, तरल जोड़तोड़ (on and off) आदि के नियंत्रण हेतु, कार्य करता है।
 
[[श्रेणी:नियंत्रण प्रौद्योगिकी]]