"गरीब दास": अवतरणों में अंतर

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'''संत गरीब दास''' (1717-1778) भक्ति और काव्य के लिए जाने जाते हैं। गरीब दास ने एक विशाल संग्रह की रचना की जो '''गरीबग्रंथसदग्रंथ साहिब''' के नाम से प्रसिद्द है। गरीब दास साहेब ने सद्गुरु कबीर साहेब की अमृतवाणी का विवरण किया
जिसे '''रत्न सागर''' भी कहते हैं। इन्होने '''गरीबदासी''' नामक सम्प्रदाय की नींव रखी. स्वामी चेतन दास के अनुसार इन्होने १८५०० से अधिक पदों की रचना की.<ref>{{Cite web |url=https://www.vedamsbooks.com/no38417.htm |title=Sri Garib Das : Haryana's Saint of Humanity/K.C. Gupta. Reprint. New Delhi, Aditya Prakashan, 2004, xx, 216 p., ISBN 81-7742-057-7 |access-date=9 जनवरी 2009 |archive-url=https://web.archive.org/web/20061022132039/https://www.vedamsbooks.com/no38417.htm |archive-date=22 अक्तूबर 2006 |url-status=dead }}</ref> अच. ऐ. रोज के अनुसार '''गरीबदास की ग्रन्थ साहिब पुस्तक''' में ७००० [[कबीर]] के पद लिए गए थे और १७००० स्वयं गरीब दास ने रचे थे। गरीबदास का दर्शन था कि [[राम]] में और [[रहीम]] में कोई अन्तर नहीं है।<ref>Glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North West Frontier Province By H. A. Rose, IBBETSON, Maclagan, p. 841</ref>बाबा गरीबदास की समाधि स्थल पीडवागाँव गावछुडानी, नागौरहरियाणा जिलेऔर जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश में हैंआज भी सुरक्षित है। संत गरीब दास जी को 13 वर्ष की आयु में कबीर परमात्मा स्वयं आकर मिले थे, उनको अपना ज्ञान बताया।
 
== आध्यात्मिक सफर ==