"आनंदीबाई जोशी": अवतरणों में अंतर

टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो Reverted 2 edits by 203.114.233.61 (talk) to last revision by रोहित साव27 (TwinkleGlobal)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 18:
आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है। उन्‍होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्‍होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि एक शादीशुदा हिंदू स्‍त्री विदेश (पेनिसिल्‍वेनिया) जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगड़ने लगा और बाईस वर्ष की अल्‍पायु में ही उनकी मृत्‍यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्‍य से डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्‍होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।<ref>{{Cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%A1%E0%A5%89%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-1071029062_1.htm |title=वेब दुनिया (हिन्दी), शीर्षक: आनंदी बाई जोशी : पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर |access-date=26 नवंबर 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20131203002240/http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80/%E0%A4%86%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%A1%E0%A5%89%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-1071029062_1.htm |archive-date=3 दिसंबर 2013 |url-status=dead }}</ref>
 
==शैक्षणिक जीवन==
गोपालराव ने आनंदीबाई को डॉक्‍टरी का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1880 में उन्होंने एक प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी रॉयल वाइल्डर को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने [[संयुक्त राज्य अमेरिका|संयुक्त राज्य]] में औषधि अध्ययन में आनंदीबाई की रूचि के बारे में बताया और खुद के लिए अमेरिका में एक उपयुक्त पद के बारे में पूछताछ किया। वाइल्डर ने उनके प्रिंसटन की मिशनरी समीक्षा में पत्राचार प्रकाशित किया। थॉडिसीया कार्पेन्टर, जो रोज़ेल, [[न्यू जर्सी]] की निवासी थीं, ने अपने दंत चिकित्सक के लिए इंतजार करते वक्त यह पढ़ा। औषधि अध्ययन करने के लिए आनंदीबाई की इच्छा और पति गोपालराव के समर्थन से प्रभावित होकर उन्होंने अमेरिका में आनंदीबाई के लिए आवास की पेशकश की।
 
पंक्ति 30:
आनंदीबाई ने [[कोलकाता]] (कलकत्ता) से पानी के जहाज के माध्यम से [[न्यूयॉर्क]] की यात्रा की। न्यूयॉर्क में थिओडिसिया कार्पेन्टर ने उन्हें जून 1883 में अगवानी की। आनंदीबाई ने [[पेन्सिलवेनिया|पेंसिल्वेनिया]] की वूमन मेडिकल कॉलेज में अपने चिकित्सा कार्यक्रम में भर्ती होने के लिए नामंकन किया, जो कि दुनिया में दूसरा महिला चिकित्सा कार्यक्रम था। कॉलेज के डीन राहेल बोडले ने उन्हें नामांकित किया।
 
आनंदिबाई ने 19 वर्ष की उम्र में अपना चिकित्सा प्रशिक्षण शुरू किया। अमेरिका में ठंडे मौसम और अपरिचित आहार के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था। उन्हें तपेदिक हो गया था फिर भी उन्होंने 11 मार्च 1885 को एमडी से स्नातक किया। उनकी थीसिस का विषय था "आर्यन हिंदुओं के बीच प्रसूति"। इनके स्नातक स्तर की पढ़ाई पर रानी [[विक्टोरिया]] ने उन्हें एक बधाई संदेश भेजा था |था।
 
==भारत वापसी==