"जाट": अवतरणों में अंतर

[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
पंक्ति 3:
पंजाब में यह '''जट''' कहलाते हैं तथा शेष प्रदेशों में '''जाट''' कहलाते है। यह अति प्राचीन समुदाय है।
==जाट शब्द की व्युत्पत्ति==
जाट शब्द का निर्माण संस्कृत के 'ज्ञात' शब्द से हुआ है। अथवा यों कहिये की यह 'ज्ञात' शब्द का अपभ्रंश है। लगभग १४५० वर्ष ई० पूर्व में अथवा महाभारत काल में भारत में अराजकता का व्यापक प्रभाव था। यह चर्म सीमा को लाँघ चुका था। उत्तरी भारत में साम्राज्यवादी शासकों ने प्रजा को असह्य विपदा में डाल रखा था। इस स्थिति को देखकर कृष्ण ने अग्रज [[बलराम]] की सहायता से कंस को समाप्त कर [[उग्रसेन]] को [[मथुरा]] का शासक नियुक्त किया। कृष्ण ने साम्राज्यवादी शासकों से संघर्ष करने हेतु एक संघ का निर्माण किया। उस समय यादवों के अनेक कुल थे किंतु सर्व प्रथम उन्होंने [[अन्धक]] और [[वृष्नी]] कुलों का ही संघ बनाया। संघ के सदस्य आपस में सम्बन्धी होते थे इसी कारण उस संघ का नाम ''''ज्ञाति-संघ'''' रखा गया। <ref>[[http://www.sacred-texts.com/hin/mbs/mbs12082.htm Shanti Parva Mahabharata Book XII Chapter ८२]]</ref><ref>ठाकुर गंगासिंह: "जाट शब्द का उदय कब और कैसे", जाट-वीर स्मारिका, ग्वालियर, १९९२, पृ। ६</ref> । <ref>किशोरी लाल फौजदार: "महाभारत कालीन जाट वंश", [[जाट समाज]], आगरा, जुलाई १९९५, पृ ७</ref>
 
[[ठाकुर देशराज]] लिखते हैं कि [[महाभारत]] युद्ध के पश्चात् राजनैतिक संघर्ष हुआ जिसके कारण [[पांडव|पांडवों]] को [[हस्तिनापुर]] तथा [[यादवों]] को [[द्वारिका]] छोड़ना पड़ा। ये लोग भारत से बाहर [[ईरान]], [[अफगानिस्तान]], [[अरब]], और [[तुर्की|तुर्किस्तान]] देशों में फ़ैल गए। [[चंद्रवंशी]] क्षत्रिय जो यादव नाम से अधिक प्रसिद्ध थे वे [[ईरान]] से लेकर [[सिंध]], [[पंजाब]], [[सौराष्ट्र]], मध्य भारत और [[राजस्थान]] में फ़ैल गए। पूर्व-उत्तर में ये लोग [[कश्मीर]], [[नेपाल]], बिहार तक फैले। यही नहीं '''मंगोल''' देश में भी जा पहुंचे। कहा जाता है कि पांडव '''साइबेरिया''' में पहुंचे और वहां वज्रपुर आबाद किया। यूनान वाले हरक्यूलीज की संतान मानते हैं और इस भांति अपने को [[कृष्ण]] तथा [[बलदेव]] की संतान बताते हैं। [[चीन]] के निवासी भी अपने को भारतीय [[आर्य|आर्यों]] की संतान मानते हैं। इससे आर्यों को महाभारत के बाद विदेशों में जाना अवश्य पाया जाता है। ये वही लोग थे जो पीछे से [[शक]], [[पल्लव]], [[कुषाण]], [[यूची]], [[हूण]], [[गूजर]] आदि नामों से भारत में आते समय पुकारे जाते हैं। <ref>ठाकुर देशराज:जाट इतिहास, दिल्ली, पृष्ठ ३०</ref>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जाट" से प्राप्त