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[[चित्र:Mirza Ghalib photograph.jpg|thumb|230px|[[मिर्ज़ा ग़ालिब]]]]
[[चित्र:Ghalibverse.png|thumb|230px|ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ (मुल्ला/पंडित) बुरा कहे,<br />ऐसा भी है कोई के सब अच्छा कहें जिसे?]]
'''शायरी''' ({{Nastaliq|ur|شاعری}}), '''शेर-ओ-शायरी''' या '''सुख़न''' [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें [[उर्दू भाषा|उर्दू-]][[हिन्दी]] भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं।<ref name="ref80lefuc">[http://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ Culture of Hindi] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190401004939/https://books.google.com/books?id=ZMZjAAAAMAAJ |date=1 अप्रैल 2019 }}, Malik Mohammad, Kalinga Publications, 2005, ISBN 978-81-87644-73-6</ref> शायरी में [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]] और [[तुर्कीयाई भाषा|तुर्की]] भाषाओँ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी लिखने वाले कवि को '''शायर''' या '''सुख़नवर''' कहा जाता है।
 
== आम प्रयोग में ==
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* '''और भी ग़म हैं ज़माने में''' - यह फैज़ अहमद फैज़ के एक शेर का हिस्सा है, पूरा शेर है: 'मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा'। इसका अर्थ है कि दुनिया में इतनी मुश्किलें-तकलीफ़ें हैं कि आदमी हर समय आनंद देने वाली चीज़ों पर ध्यान नहीं दे सकता।<ref name="ref11xoyec">[http://books.google.com/books?id=hT3h1mWbjA4C Masterpieces of Urdu nazm], K. C. Kanda, Sterling Publishers Pvt. Ltd, 2009, ISBN 978-81-207-1952-1, ''... Aur bhi dukh hain zamane mein mahabbat ke siwa, Raahaten aur bhi hain wasal ki raahat ke siwa ...''</ref>
* '''तुम्हें याद हो के न याद हो''' - इसका पूरा शेर है 'वो जो हम में तुम में क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो' और इसी ग़ज़ल का एक और अंश है 'मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा, तुम्हें याद हो के न याद हो'। यह ऐसे दोस्तों-प्रेमियों को शर्मिंदा करने के लिए कहा जाता है जो किसी के साथ अपना पुराना सम्बन्ध भूल गए हों।<ref name="ref58ciyop"/>
*'''कुछ नई उदाहरण - 1''' रूठे हो क्या दिल्लगी से, मत रूठो अपने ज़िन्दगी से<ref>{{Cite web|url=https://surajbhai.com/|title=surajbhai.com|language=en-US|access-date=2021-11-05}}</ref>
*[https://surajbhai.com/ हम तुमसे बहुत डरते] [https://surajbhai.com/ पर सबसे ज्यादा प्यार करते] [https://surajbhai.com/ तुम जिंदगी हमारी] [https://surajbhai.com/ तुमसे तो दुनिया सारी]
 
== शायरी से सम्बन्धित शब्द ==
 
शेर-ओ-शायरी के सम्बन्ध में कुछ शब्द भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान में प्रचलित हैं<ref name="ref14juyaz">[http://books.google.com/books?id=v4UKJFLZVcEC Mohammad Quli Qutb Shah: Makers of Indian literature] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20140627145631/http://books.google.com/books?id=v4UKJFLZVcEC |date=27 जून 2014 }}, Masʻūd Ḥusain K̲h̲ān̲, Sahitya Akademi, 1996, ISBN 978-81-260-0233-7, ''... The sher or distich has two misra. It is either a bait or fard. The couplet bait has two hemistiches rhyming with ... The first couplet is called the matla and both of its misra rhyme together. The last couplet is called the maqta ...''</ref>, मसलन (उदाहरणार्थ):
* '''जुमला''' - यह 'पंक्ति' का एक अन्य नाम है, उदाहरण के लिए 'बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे' एक जुमला है (अर्थ: 'मेरे लिए दुनिया एक बच्चों का खेल/बाज़ी है')
* '''मिसरा''' - शायरी की पंक्तियों/जुमलों के लिए यह भी एक नाम है