गोस्वामी भारती ब्राह्मण भारती ब्राह्मण: गोस्वामी ब्राह्मणों में सबसे सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण भारती ब्राह्मण हैं। यह दक्षिण श्रृंगेरी मठ सन्यासी हैं। उच्च गोस्वामी ब्राह्मणों की एक प्रमुख उपजाति हैं। भारती ब्राह्मणों की उत्पत्ति शिव जी के मस्तिष्क से हुई है। यही कारण है कि भारती ब्राह्मण सबसे उच्च ब्राह्मण माने जाते है। इस जाति के लोग भारत में सभी जगह पाए जाते है।
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'''गोस्वामी भारती ब्राह्मण'''
 
'''भारती ब्राह्मण:'''
 
गोस्वामी ब्राह्मणों में सबसे सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण भारती ब्राह्मण हैं। यह दक्षिण श्रृंगेरी मठ सन्यासी हैं। उच्च गोस्वामी ब्राह्मणों की एक प्रमुख उपजाति हैं।
 
भारती ब्राह्मणों की उत्पत्ति शिव जी के मस्तिष्क से हुई है। यही कारण है कि भारती ब्राह्मण सबसे उच्च ब्राह्मण माने जाते है।
 
इस जाति के लोग भारत में सभी जगह पाए जाते है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और बिहार मेंअधिक पाए जाते है।
 
जिस प्रकार मस्तिष्क(मस्तिष्क उत्पत्ति) पर कम जगह होती है उसी प्रकार भारती ब्राह्मण की मढ़ीया भी कम है।
 
भारती ब्राह्मण गोस्वामी ब्राह्मणों की दस शाखा भारती, पुरी, वन, गिरी, पर्वत, सागर, अरण्य, तीर्थ, सरस्वती, आश्रम मे से एक हैं इसलिए इन्हे दसनामी ब्राह्मण या शैव ब्राह्मण भी कहा जाता है।
 
भारती ब्राह्मण के वंशज अत्यधिक बुद्धिमान , कार्यवाण, निष्ठावान , गुणवान, शक्तिशाली होते हैं। परन्तु यह अपने क्रोध पर नियंत्रण एक समय सीमा तक ही रखते हैं। समय सीमा समाप्त होने पर इनका क्रोध भगवान शिव के तृतीय नयन खुलने के बराबर होता है।
 
'''रॉयल भारती ब्राह्मण -'''
 
रॉयल भारती ब्राह्मण इसलिए कहा है क्योंकि अधिकतम भारती ब्राह्मण शाही राज परिवार से संबंध रखते हैं या शाही राज परिवार से थे। किन्तु समाज में बढ़ती निर्धनता, दरिद्रता को देखकर भारती ब्राह्मणों ने अपना राज पाठ निर्धन एवं दरिद्र लोगो को दान कर दिया इस कारण भारती ब्राह्मणों का  राज परिवार एवं राज पाठ खत्म हो गया।
 
'''ज्ञात भारती ब्राह्मण राजाओं के नाम -'''
 
'''दोलासर भारती, गिरधर भारती, इस्ववेश भारती, प्रेमानन्द भारती ,मानोश्र भारती, रहलदेव भारती, अरविन्दो भारती, विकाश्र भारती, अकाश्र भारती एवम रामाश्र भारती ओर भी भारती राजा हुए हैं।'''
 
भारती ब्राह्मण शैव मत के अनुयायी होते हैं दसनामी गोस्वामी ब्राह्मण इन्हे भी कहा जाता है,
 
भारती ब्राह्मण कि मृत्यु उपरांत समाधि भी दी जाती है इसलिए दसनामी गोस्वामी ब्राह्मण अन्य ब्राह्मणों से अलग होते हैं इनकी उत्पत्ति भगवान शंकर से मानी जाती है।
 
'''००० भारती ब्रह्मण की चार मढ़ीया होती हैं:'''
 
(1) नृसिंह भारती
 
(2) मन मुकुन्द भारती
 
(3) पद्मनाथ भारती
 
(4) बालविजय नाथ भारती
 
'''००० भारती ब्राह्मण कि गौत्र'''
 
आदि गुरू शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित दशनाम परम्परा में उपनाम "भारती" का गौत्र "भुर्भव" है।
 
'''० भारती ब्राह्मण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी कुछ इस प्रकार है।'''
 
० संप्रदाय      >>>> भूरवार
 
० देवता        >>>> आदिवराह
 
०  देवी         >>>> कमाक्षादेवी
 
०  तीर्थ        >>>> महोदधि
 
०  वेद          >>>> यजुर्वेद
 
० आचार्य      >>>> पृथ्वी धराचार्य
 
० ब्रह्मचारी    >>>> चेतन्य
 
० गोत्र          >>>> भुर्भव       
 
० मठ          >>>> श्रृंगेरी मठ
 
'''लेखक - आकाश भारती गोस्वामी'''
 
'''जिला उज्जैन ,मध्य प्रदेश'''