"कामायनी": अवतरणों में अंतर
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डॉ. [[डॉ॰ नगेन्द्र|नगेन्द्र]] के अनुसार कामायनी मानव चेतना के विकास का महाकाव्य है।
== प्रतीकात्मक ==
कामायनी की प्रतीक रचना के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण संकेत रचना के आरंभ में ''',रचनाकार जयशंकर प्रसाद''' के निम्नलिखित कथन से मिलता है— “यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है।इसलिये मनु, श्रद्धा और इङा इत्यादि अपना ऐतिहासिक अस्तित्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ को भी अभिव्यक्त करें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।”
कामायनी के प्रतिकात्मक होने के संदर्भ में डॉ नगेंद्र की व्याख्या सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है।उन्होनें कामायनी को कथारूपक (ऐलिगरी) के अर्थ में रूपक काव्य माना है।डॉ नगेंद्र कामायानी के प्रतीकों की व्याख्या निम्नलिखित पद्धति से करते हैं—
( क) '''पात्रों के स्तर पर प्रतिकत्मकता'''
मनु - मनोमय कोश में स्थित जीव का प्रतीक
श्रद्धा- उद्दात भावना का प्रतीक
इङा - तर्क- बुद्धि की प्रतीक
आकुलि- किलात— आसुरी वृत्तियों के प्रतीक
देव- अबाध इंद्रिभोग के प्रतीक
श्रद्धा का पशु- दया, अहिंसा और करुणा का प्रतीक
वृषभ- धर्म का प्रतीक
(ख) '''घटानाओं के स्तर पर प्रतिकत्मता'''
जल प्लावन की घटना प्रलय की प्रतीक
कैलाश पर्वत आनंद कोश या समरसता का प्रतीक
सारस्वत प्रदेश- विज्ञानमय कोश का प्रतीक
इसके अतिरिक्त डॉ नामवर सिंह ने भी इसकी व्याख्या की है ।
क
==इन्हें भी देखें==
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