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बेरोजगारी बहुत बड़ी बीमारी है-अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र...
[[चित्र:Unemployment rate, OWID.svg|thumb|350px|बेरोजगारी दर का मानचित्र (२०१७ में)]]
 
कुछ गरीब या कमजोर लोग करोड़पति, अरबपति, खरबपति और शँखपति कैसे बन जाते हैं?
 
क्या सफलता के लिए केवल कोशिश ही पर्याप्त है?
 
आगे बढ़ने के लिए कौनसे तरीके अपनाए?..
 
क्या किस्मत, मुकद्दर से ही आदमी पैसे वाला बनता है।
 
गरीबी को कैसे मिटायें?
 
असफलता या फैल होने की वजह कौनसी है।
हर आदमी बहुत मेहनत के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाता।
 
उन्नति के लिए किस देवता की पूजा करना चाहिए।
 
क्या ज्योतिष द्वारा व्यक्ति सपने पूरे कर सकता है?
 
क्या मोहब्ब्त या शादी से पहले कमाना जरूरी है?..
 
बेरोजगारी कैसे मिटायें?...
प्यार-शादी करने से पहले कोई रोजगार अवश्य करें अन्यथा आदमी की हालत धोबी के कुत्ते की तरह हो जाती है। वह न घर का रहता है, न घाट का।
 
कुँवारी लड़कियों को भी लड़कों की बेरोजगारी बिल्कुल भी नहीं जंचती।
बेरोजगारी के दंश से सरकारी व्यवस्था, तो हारी है, लेकिन आप हर न माने।
सफलता के बाद दुनिया इंसान के कदम चूमती है।
हमारी सलाह यही है कि फालतू न बैठकर कुछ भी काम करें।
अगर जीवन में करोड़पति बनना है, तो कर्म, प्रयास, मेहनत करें और यदि आप अरबपति बनने के सपने देख रहें हैं, तो कुछ ज्योतिष उपाय अपनाकर तथा भोलेनाथ की शरण में जाकर प्रार्थना करें।
लक्ष्मी की कामना ही आपको आगे बढ़ाएगी। क्यों कि लक्ष्मीजी की आरती में आता है कि- सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता...जय लक्ष्मी माता।।
 
* हर नार को वैसे नर भारी लगता है। यह बात अलग है कि नारी के पुरुष की वजह से पैर भारी होते हैं। इसीलिए वह आभारी रहती है।
* बेरोजगार को दुनिया की मार झेलना पड़ती है। बिना काम मर्द और काम रहित नामर्द की हालत बेकार, तार की तरह हो जाती है।
* रोजगार के बिना स्त्री से प्यार हासिल करना बहुत ही मुश्किल काम है। अतः नोकरी छोड़ने के लिए कभी तैयार न होवें अन्यथा घर बसाने से पहले सन्सार उजड़ जायेगा। फिर आप न खेत के रहोगे, न हार के।
* जीवन का सार और जीवन के पार केवल रोजगार ही लगाता है। कारोबार अच्छा होने से उसके 100 यार भी तुरन्त बन जाते हैं।
* सियार जैसी जिंदगी से बचने के लिए बेरोजगार न रहें।
 
अरबपति बनने के सूत्र और गणित क्या हैं?
अरब दो शब्द मिलकर बना है। आ+रब अर्थात जब आप 24 घण्टे आ रब, आ-रब अर्थात भोलेनाथ, महादेव को बुलाते रहोगे, तो वह एक दिन आ ही जायेगा।
कहा गया है कि-
भावहिं मेट सकें त्रिपुरारी।
 
सदाशिव सब बदलने की क्षमता रखते हैं। दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का सॉफ्टवेयर इन्हीं के पास है।
श्रीरामचरितमानस मानस की एक चौपाई अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं मार्गदर्शक है-
हानि-लाभ, जीवन-मरण,
-सुख-दुख विधि हाथ।
अर्थात इन छह चीजों में परिवर्तन केवल शिव ही कर सकते हैं। स्कंदपुराण में शिव को ही विधि और विधान बताया है।
परमहँस सन्त गा-गा कर कहते हैं-
शिव ही विधाता, शिव ही विधान।
शिव ही ज्ञानी, शिव ही ज्ञान।
अतः सृष्टि का आनंद, आरम्भ और अंत अभयनाथ शिव ही हैं।
 
यह बात तो आपके स्मरण में होगी ही कि अरबपतियों की श्रंखला में आने से पहले करोड़पति बनना पड़ता है।
 
कैसे बने बने-करोड़पति...
जब तक मन में होड़, प्रतिस्पर्धा या कॉम्पटीशन का भाव पैदा नहीं होगा।
करोड़ शब्द का अगर सन्धि विच्छेद करें, तो होगा- कर+ होड़ यानि होड़ करके ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।
प्रतिस्पर्धा का भाव भी एक बहुत बड़ी ऊर्जा है। हर रोज की खोज इसी से विचारों में पनपेगी।
जब आप अरबपति बन जाएं, तो खरबपति होने के लिए कोई भी ज्यादा प्रयास या कोशिश नहीं करनी पड़ती। इसके आगे का काम आपके समर्थक और सन्सार के लोग करने लगते हैं।
 
खरबपति बनने का सरल गणितीय सूत्र..
खरब शब्द में भी दो अक्षरों का समायोजन है।
खा+रब अर्थात ईश्वर या दान-पुण्यों खर्च करने की आदत बनायें।
खा रब। रब यानि परमात्मा जैसी कल्याण की भावना लाना। स्वयं ही शिव कल्याणेश्वर बनकर सबका भला करना।
लंगर, भंडारे, मुफ्त शिक्षा, निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था करना आदि सभी जन हितार्थ कार्यों में धन व्यय करने से आप खरबपति कहलायेंगे।
इसके बाद व्यक्ति की सत्ता शँखपति जैसी बन जाती है। जब इतना जनकल्याण करेंगे, तो आपके नाम का शंख चारो तरफ स्वतः ही बजने लगेगा।
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[[चित्र:Unemployment rate, OWID.svg|thumb|350px|बेरोजगारी दर का मानचित्र (२०१७ में)]]
'''बेरोज़गारी''' (Unemployment) या '''बेकारी''' किसी काम करने के लिए योग्य व उपलब्ध व्यक्ति की वह अवस्था होती है जिसमें उसकी न तो किसी कम्पनी या संस्थान के साथ और न ही अपने ही किसी व्यवसाय में [[नियुक्ति]] होती है। किसी देश, राज्य या अन्य क्षेत्र में पूरे श्रम करने वाले लोगों की आबादी में बेरोज़गारों का प्रतिशत उस स्थान का बेरोज़गारी दर (unemployment rate) कहलाता है। अगर वह लोग जो बालक, वृद्ध, रोगी या अन्य किसी अवस्था के कारण अनियोज्य (unemployable)- यानि रोज़गार के लिए अयोग्य - हों काम न करें तो उन्हें बेरोज़गार की श्रेणी में नहीं गिना जाता है और न ही उनकों बेरोज़गारी दर में सम्मिलित करा जाता है।<ref>Acocella, Nicola (2007). Social pacts, employment and growth: a reappraisal of Ezio Tarantelli's thought. Heidelberg: Springer Verlag. ISBN 978-3-7908-1915-1.</ref><ref>Anderson, Elizabeth (2017). Private Government: How Employers Rule Our Lives (and Why We Don't Talk about It). Princeton, NJ: Princeton University Press. ISBN 978-0-691-17651-2.</ref><ref>Freeman, Richard B.; Goroff, Daniel L. (2009). Science and Engineering Careers in the United States: An Analysis of Markets and Employment. Chicago: University of Chicago Press. ISBN 978-0-226-26189-8.</ref>