"मोहन राकेश": अवतरणों में अंतर

मोहन राकेश जी 3 दिसम्बर को ही बिछड़े 3 जनवरी को नहीं
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3 दिसम्बर
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, १९७२) [[नयी कहानी|नई कहानी]] आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे।
 
[[पंजाब विश्वविद्यालय]] से [[हिन्दी]] और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन किया। कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक भी रहे। '[[आषाढ़ का एक दिन]]','आधे अधूरे' और [[लहरों के राजहंस]] के रचनाकार। 'संगीत नाटक अकादमी' से सम्मानित। ३ जनवरी दिसम्बर १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश मूलतः एक सिंधी परिवार से थे। उनके पिता कर्मचन्द बहुत पहले सिंध से पंजाब आ गए थे। वे हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है।
 
== नाट्य-लेखन ==