"पवन ऊर्जा": अवतरणों में अंतर
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== मूल सिद्धान्त ==
[[File:Wind turbine int.svg|thumb| किसी सामान्य पवन टर्बाइन के मुख्य अवयव: {{ordered list
|1= आधार (फाउन्डेशन)
|2= विद्युत ग्रिड से संयोजन (कनेक्शन)
|3= टॉवर
|4=Access ladder
|5=
|6=
|7= [[विद्युत जनित्र]]
|8= [[
|9= ब्रेक (वैद्युत या यांत्रिक)
|10=[[
|11= रोटर के ब्लेड
|12= ब्लेड पिच नियंत्रण
|13= रोटर हब
}}]]
सूर्य प्रति सेकंड पचास लाख टन पदार्थ को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इस ऊर्जा का जो थोड़ा सा अंश पृथ्वी पर पहुँचता है, वह यहाँ कई रूपों में प्राप्त होता है। सौर विकिरण सर्वप्रथम पृथ्वी की सतह या भूपृष्ठ द्वारा अवशोषित किया जाता है, तत्पश्चात वह विभिन्न रूपों में आसपास के वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाता है। चूँकि पृथ्वी की सतह एक सामान या समतल नहीं है, अतः अवशोषित ऊर्जा की मात्रा भी स्थान व समय के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। इसके परिणामस्वरूप तापक्रम, घनत्व तथा दबाव संबंधी विभिन्नताएं उत्पन्न होती है- जो फिर ऐसे बलों को उत्पन्न करती हैं, जो वायु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवाहित होने के लिए विवश कर देती हैं। गर्म होने से विस्तारित वायु, जो गर्म होने से हलकी हो जाती है, ऊपर की ओर उठती है तथा ऊपर की ठंडी वायु नीचे आकर उसका स्थान ले लेती है, इसके फलस्वरूप वायुमंडल में अर्द्ध-स्थायी पैटर्न उत्पन्न हो जाते हैं। वायु का चलन, सतह के असमान गर्म होने के कारण होता है।रात में उलटा होता है। पानी के ऊपर की हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है और उसकी जगह ज़मीन से ठंडी हवा आती है।<ref name="power">[https://www.electricaldeck.com/2020/01/wind-power.html How Wind Forms ? ] - {{en}} www.electricaldeck.com</ref>
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