"मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या": अवतरणों में अंतर

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'''सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरय्या''' ([[१५ सितंबर|15 सितंबर]] 1860 — [[१४ अप्रैल|14 अप्रैल]] 1962) ([[तेलुगू भाषा|तेलुगु]] में: శ్రీ మోక్షగుండం విశ్వేశ్వరయ్య) भारत के महान [[अभियन्ता]] एवं [[राजनयिक]] थे। उन्हें सन 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान [[भारत रत्‍न|भारत रत्न]] से विभूषित किया गया था।<ref>{{cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-43974858|title=कौन हैं विश्वेश्वरय्या, जिनके नाम पर मोदी ने राहुल को चैलेंज किया|access-date=12 जून 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20180617113251/https://www.bbc.com/hindi/india-43974858|archive-date=17 जून 2018|url-status=live}}</ref> भारत में उनका जन्मदिन '''[[अभियन्ता दिवस]]''' के रूप में मनाया जाता है।
 
== शिक्षा ==
== पारिवारिक जानकारी ==
विश्वेश्वरैया का जन्म [[मैसूर]] ([[कर्नाटक]]) के [[कोलार]] जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में 15 सितंबर 1860 को एक [[तेलुगू भाषा|तेलुगु]] परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री तथा माता का नाम वेंकाचम्मा था। पिता [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] के विद्वान थे। विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा जन्मस्थान से ही पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने [[बंगलौर|बंगलूर]] के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन यहां उनके पास धन का अभाव था। अत: उन्हें टयूशन करना पड़ा। विश्वेश्वरैया ने 1880 में बीए की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया। इसके बाद मैसूर सरकार की मदद से [[अभियान्त्रिकी|इंजीनियरिंग]] की पढ़ाई के लिए [[पुणे|पूना]] के [[अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे|साइंस कॉलेज]] में दाखिला लिया। 1883 की एलसीई व एफसीई (वर्तमान समय की [[बीई]] उपाधि) की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया। इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें [[नासिक]] में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया।