"विषाणु": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Vivekshakya1 (वार्ता | योगदान) छोNo edit summary टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
reversion टैग: Manual revert यथादृश्य संपादिका |
||
पंक्ति 1:
{{आज का आलेख}}
{{Taxobox
| color = {{Taxobox colour|[[virus]]}}
Line 10 ⟶ 8:
| subdivision_ranks = समूह
| subdivision =
}}
'''
▲'''[https://vivekquestionhub.blogspot.com/2021/12/vishaanu-kise-kahate.html विषाणु]''' (virus) अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित [[कोशिका]] में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।<ref>{{cite book |last=यादव, नारायण |first=रामनन्दन, विजय |title= अभिनव जीवन विज्ञान |year=मार्च २००३ |publisher=निर्मल प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=१-४०}}</ref> ये [[नाभिकीय अम्ल]] और [[प्रोटीन]] से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुसुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित माध्यम या धारक के संपर्क में आता है, तो उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल [[राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल|आरएनए]] एवं [[डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल|डीएनए]] की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन [[१७९६]] में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि [[चेचक]], विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन [[१८८६]] में एडोल्फ मेयर ने बताया कि [[तम्बाकू]] में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी [[१८९२]] में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने [[टोबेको मोजेक वाइरस]] रखा।<ref>{{cite book |last=सिंह |first=गौरीशंकर|title= हाई-स्कूल जीव-विज्ञान |year=मार्च १९९२ |publisher=नालन्दा साहित्य सदन|location=कोलकाता |id= |page=४७-४८}}</ref>
Line 26 ⟶ 23:
*3.जीवाणुभोजी विषाणु (bacteriophage)
==जीवाणु और विषाणु में अन्तर==
|