"कार्तिकेय": अवतरणों में अंतर

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== कार्तिकेय के जन्म की कथा ==
स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव के दिये वरदान के कारण अधर्मी [[दैत्य]] तारकासुर अत्यंत शक्तिशाली हो चुका था। वरदान के अनुसार केवल शिव से उत्पन्नशिवपुत्र ही उसका वध कर सकता था।<ref>{{Cite web|url=https://www.patrika.com/agra-news/lord-shiva-son-kartikeya-special-story-3784360/|title=भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का दर्शन करना महिलाओं के लिए मना, दर्शन किए तो सात जन्म तक रहेंगी विधवा...|website=Patrika News|language=hindi|access-date=2020-08-28}}</ref> और इसी कारण वह तीनों लोकों में हाहाकार मचा रहा था। इसीलिए सारे देवता भगवान विष्णु के पास जा पहुँचे। भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया की वे कैलाश जाकर भगवान शिव से पुत्र उत्पन्न करने की विनती करें। विष्णु की बात सुनकर समस्त देवगण जब कैलाश पहुंचे तब उन्हें पता चला कि शिवजी और माता पार्वती तो विवाह के पश्चात से ही देवदारु वन में एकांतवास के लिए जा चुके हैं।
विवश व निराश देवता जब देवदारु वन जा पहुंचे तब उन्हें पता चला की शिवजी और माता पार्वती वन में एक गुफा में निवास कर रहे हैं।
देवताओं ने शिवजी से मदद की गुहार लगाई किंतु कोई लाभ नहीं हुआ, भोलेभंडारी तो कामपाश में बंधकर अपनी अर्धांगिनी के साथ सम्भोग करने में रत थे। उनको जागृत करने के लिए अग्नि देव ने उनकी कामक्रीड़ा में विघ्न उत्पन्न करने की ठान ली। अग्निदेव जब गुफा के द्वार तक पहुंचे तब उन्होने देखा की शिव शक्ति कामवासना में लीन होकर सहवास में तल्लीन थे, किंतु अग्निदेव के आने की आहट सुनकर वे दोनों सावधान हो गए।