"इलाहाबाद की संधि": अवतरणों में अंतर

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मुगलकाल में प्रान्तीय प्रशासन के स्तर पर दो अधिकारी होते थे, जिन्हे दीवान एवं सूबेदार या गवर्नर कहा जाता था। दीवान प्रान्तीय राजस्व या वित्त व्यवस्था का प्रभारी होता था, जबकि सूबेदार या गवर्नर निजामत (सैन्य, प्रतिरक्षा, पुलिस एवं न्याय प्रशासन) के कार्यो का निष्पादन करता था। ये दोनों अधिकारी एक दूसरे पर नियन्त्रण रखते थे एवं मुगल केन्द्रीय प्रशासन के प्रति उत्तरदायी होते थे।
 
[[बक्सरक्सर का युद्ध]] सैन्य दृष्टिकोण से अंग्रेजो की बहुत बड़ी सफलता थी क्योकि [[प्लासी का पहला युद्ध|प्लासी के युद्ध]] का विजय सिराजुदौला के सेनानायकों के विश्वासघात का परिणाम था। किन्तु बक्सर के युद्ध में अंग्रेज बिना किसी छल-कपट के ही विजयी हुए थे। इसके अतिरिक्त, अवध का नवाब [[सिराजुदौलाशुजाउद्दौला]] की भांति अनुभवहीन एवं मूर्ख नहीं था। वह राजनीति के साथ-साथ युद्ध में भी निपुण था। ऐसे योग्य शासन को पराजित करके कम्पनी की प्रतिष्ठा में वृद्धि हो गयी। इस विजय के पश्चात बंगाल में अंग्रेजी सत्ता के प्रभुत्व की स्थापना हो गयी।
 
इलाहाबाद की प्रथम संधि की शर्तें निम्नवत थीं-