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अंतिम संस्कार
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'''[https://hindikathabhajan.com/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%85%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%ae-%e0%a4%b8/ अंतिम संस्कार]''' या '''अन्त्येष्टि क्रिया''' हिन्दुओं के प्रमुख संस्कारों में से एक है। [[संस्कार]] का तात्पर्य हिन्दुओं द्वारा जीवन के विभिन्न चरणों में किये जानेवाले धार्मिक [[कर्मकांड]] से है। यह हिंदू मान्यता के अनुसार सोलह संस्कारों में से एक [[संस्कार]] है। अंतिम संस्कार हिन्दुओं के पृथ्वी पर बिताये गये जीवन का आखिरी [[संस्कार]] होता है जिसे व्यक्ति की [[मृत्यु]] के पश्चात मृतक के परिजनों द्वारा संपन्न किया जाता है। आमतौर पर हिंदुओं को मरने के बाद [[अग्नि]] की [[चिता]] पर जलाया जाता है जिसमें शव को लकड़ी के ढेर पर रखकर पहले मृतात्मा को [[अन्त्येष्टि क्रिया|मुखाग्नि]] दी जाती है और तत्पश्चात उसके शरीर को अग्नि को समर्पित किया जाता है। शवदाह के बाद मृतक की अस्थियाँ जमा की जाती है और उसे किसी जलस्त्रोत में, आमतौर पर [[गंगा नदी|गंगा]] में प्रवाहित की जाती है। जिसके बाद लगभग तेरह दिनों तक [[श्राद्ध]]कर्म किया जाता है। मृतात्मा की शांति के लिये दान दिये जाते हैं और [[ब्राह्मण|ब्राम्हण]] समुदाय को भोजन कराया जाता है। बाद में लोग [[पिण्ड|पिंडदान]] के लिये [[काशी]] या [[गया]] में जाकर [[पिण्ड|पिंडदान]] की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
 
{{षोडश संस्कार}}