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सिद्धार्थनगर जिला
 
 
'''सिद्धार्थनगर ज़िला''' [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=qzUqk7TWF4wC Uttar Pradesh in Statistics]," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170423083533/https://books.google.com/books?id=S46rbUL6GrMC|date=23 अप्रैल 2017}}," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975</ref>
 
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जिले का मुख्यालय, सिद्धार्थनगर, [[नौगढ़]] तहसील के अन्तर्गत आता है। यह जनपद ऐतिहासिक शाक्य जनपद के खण्डहरों के लिए प्रसिद्ध है, जो नौगढ़ से 18 कि॰मी॰ दूर [[पिपरहवा]] में है। सिद्धार्थनगर हिन्दू धर्मं की स्मृतियों का संग्रह है, जिनमें पल्टादेवी मंदिर शामिल है। यह शोहरतगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत पल्टादेवी में अतिप्राचीन मंदिर है। सिद्धार्थनगर जिला बौद्ध धर्म का भी बहुत बड़ा पर्यटन स्थल है। यहां पर भगवान बुद्ध का राजमहल स्थित है। कहा जाता है कि जब भगवान बुद्ध की माता गर्भावस्था में थी तो वो सिद्धार्थनगर से अपने मायके नेपाल में जा रही थी तो वहीं रास्ते में लुम्बनी में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ। इस जिले में ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय है। इस जिले की सीमा महाराजगंज, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, गोण्डा व बलरामपुर जिले से तथा नेपाल देश से मिलती हैं। इस जिले की प्रमुख नदियां राप्ती, बूढ़ी राप्ती, बाणगंगा आदि नदियां हैं। इस जिले में चार बड़े रेलवे स्टेशन नौगढ़, बढ़नी, शोहरतगढ व उसका है। इस जिले में 5 तहसील, 14 व्लाक व 6 नगर हैं। यहां की मुख्य भाषा हिन्दी, अवधी, उर्दू व भोजपुरी है। मुख्य व्यवसाय कृषि है।उपजाऊ मिट्टी के पाये जाने के कारण यहां पर धान ( प्रसिद्ध कालानमक), गेहूं व गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
 
== इतिहास ==
जिले का इतिहास [[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक भगवान [[गौतम बुद्ध]] के जीवन से जुड़ा हुआ है। इस जनपद का नामकरण गौतम बुद्ध के बाल्यावस्था के नाम राजकुमार ”सिद्धार्थ“ के नाम पर हुआ है। अतीत काल में [[वन]]ों से आच्छादित [[हिमालय]] की तलहटी का यह क्षेत्र साकेत अथवा कौशल राज्य का हिस्सा था। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शाक्यों ने अपनी राजधानी कपिलवस्तु में बनायी और यहां एक शक्तिशाली गणराज्य की स्थापना की। काल के थपेडों से यह क्षेत्र फिर उजाड़ हो गया। यह पूरा भू-भाग पूर्व में जनपद [[गोरखपुर]] में समाहित था। सन् 1801 में जनपद गोरखपुर परिक्षेत्र को [[अवध]] के नबाव से [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ईस्ट इंडिया कम्पनी]] को स्थान्तरित होने के समय इसकी उत्तरी सीमा [[नेपाल]] में बुटवल तक, पूर्वी सीमा [[बिहार]] राज्य से एवं दक्षिणी सीमा [[जौनपुर जिला|जौनपुर]], [[गाज़ीपुर ज़िला|गाजीपुर]] व [[अयोध्या जिला|फैजाबाद]] ज़िलों तथा पश्चिमी सीमा [[गोण्डा जिला|गोण्डा]] व [[बहराइच जिला|बहराइच]] ज़िलों से मिलती थी। सन् 1816 में युद्ध के उपरान्त एक समझौते के अन्तर्गत विनायकपुर व तिलपुर परगनों को नेपाल को सौंपा गया। [[ब्रिटिश राज|अंग्रेजी शासन]] में अंग्रेज जमीदारों ने यहां पर पैर जमाया। सन् 1865 में मगहर परगने के अधिकांश भाग व परगना विनायकपुर के कुछ भाग को जनपद गोरखपुर से पृथक कर जनपद बस्ती का सृजन हुआ। जिससे यह क्षेत्र बस्ती जिले में आ गया। पिपरहवा स्तूप की खुदाई 1897-98 ई॰ में डब्ल्यू॰ सी॰ पेपे ने की थी। सन् 1898 ई0 में ही इसे जर्नल ऑफ रायल एशियटिक सोसायटी में प्रकाशित किया गया। तत्पश्चत 1973-74 में इस स्थल की खुदाई प्रो0 के0एम0 श्रीवास्तव के निर्देशन में हुई तथा खुदाई में प्राप्त अवशेषों से पिपरहवा को कपिलवस्तु होने पर मुहर लगायी गयी। गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं इसी क्षेत्र में घटित हुई। कपिलवस्तु में शाक्यों का राज प्रसाद और बुद्ध के काल में निर्मित बौद्ध बिहारों का खण्डहर तथा शाक्य मुनि के अस्थि अवशेष पाये गये है। कपिलवस्तु की खोज के बाद उत्तर प्रदेश सरकार, राजस्व अनुभाग-5 के अधिसूचना संख्या-5-4 (4)/76-135- रा0-5(ब) दिनांक 23 दिसम्बर, 1988 के आधार पर दिनांक 29 दिसम्बर 1988 को जनपद-बस्ती के उत्तरी भाग को पृथक कर सिद्धार्थनगर जिले का सृजन किया गया।
 
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भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय जिलों में से एक है जो तीर्थयात्रियों, पार्कों, मनोरंजन केंद्रों, शॉपिंग सेंटर, पिकनिक स्पॉट्स, घाट आदि जैसे सुविधाओं के लिए जाना जाता है। कई पर्यटक और विभिन्न धर्मों के अनुयायी हर साल सिद्धार्थनगर आते हैं। कई निजी एजेंसियों के साथ राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिद्धार्थनगर आने वाले पर्यटकों का अभिनन्दन एवं स्वागत करता है । सिद्धार्थनगर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अच्छी परिवहन सुविधा की आवश्यकता है।
 
== पर्यटक स्थान हैं: ==
 
=== (1)पिपरहवा स्तूप : ===
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