"शक्तियों का पृथक्करण": अवतरणों में अंतर
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'''शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त''' (principle of separation of powers) राज्य के सुशासन का एक प्रादर्श (माडल) है। शक्तियों के पृथक्करण के लिये राज्य को भिन्न उत्तरदायित्व वाली कई शाखाओं में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक 'शाखा' को अलग-अलग और स्वतंत्र शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं। प्रायः यह विभाजन - [[कार्यकारिणी (सरकार)|कार्यपालिका]], [[विधानपालिका|विधायिका]] तथा [[न्यायपालिका]] के रूप में किया जाता है।
शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत फ्रेंच दार्शनिक [[मान्टेस्कयू]] ने दिया था। उसके अनुसार राज्य की शक्ति उसके तीन भागों कार्यपालिका, विधानपालिका, तथा न्यायपालिका मे बांट देनी चाहिये। यह सिद्धांत
== परिचय ==
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