"बारडोली सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
बारडोली की जगह बारदोली टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Pankit टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Gandhi and Sadar Patel Bardoli Satyagraha.jpg|right|thumb|300px|बारडोली सत्याग्रह में सरदार पटेल और [[महात्मा गांधी]]]]
[[चित्र:SardarPatel-BardoliPeasents.jpg|right|thumb|300px|बारडोली के किसानों के साथ सरदार पटेल]]
'''बारदोली सत्याग्रह''', [[बारदोली सत्याग्रह]] भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान जून 1928 में [[गुजरात]] में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व [[वल्लभ भाई पटेल]] ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के [[लगान]] में 22 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस
वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। एक न्यायिक अधिकारी बूमफील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामलों की जांच कर 22 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने [[वल्लभ भाई पटेल|वल्लभभाई पटेल]] को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की। किसान संघर्ष एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम के अंर्तसबंधों की व्याख्या बारदोली किसान संघर्ष के संदर्भ में करते हुए गांधीजी ने कहा कि इस तरह का हर संघर्ष, हर कोशिश हमें [[स्वराज]] के करीब पहुंचा रही है और हम सबको स्वराज की मंजिल तक पहुंचाने में ये संघर्ष सीधे स्वराज के लिए संघर्ष से कहीं ज्यादा सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
|