"ब्रह्म समाज": अवतरणों में अंतर

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[[राजा राम मोहन राय]] द्वारा स्थापित हिन्दु सुधार आन्दोलन ।
 
==स्थापना==
२०, अगस्त १९२८
राजा राममोहन राय ने तुलनात्मक धर्म अध्यानअध्ययन किया था परन्तु वे मुख्य रूप से उपनिषद , उनके दर्शन तथा विचारों से प्रभावित हुए थे , उपनिषद दर्शन के प्रभाव वश ही उनके द्वारा अपने संगठन का नाम ब्रह्म समाज रखा गया उनके विचार तथा योगदान धार्मिक ,सामाजिक , तथा राजनेतिक क्षेत्रो मे व्याप्त थे उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है
 
== उनके धार्मिक विचार ==
-१ वे धर्म की तार्किक व्याख्या करना चाहते थे <br />
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-१ वे धर्म की तार्किक व्याख्या करना चाहते थे <br />
२ वे एकेश्वरवाद मे विशाव्स करते थे तथा इस्लाम की मूर्तिपूजा विरोधी तथा सुफियो के मानववादी विचारो से प्रभावित थे <br />
३ वे सभी धर्मो का एक ही ईश्वर मानते थे यह ईश्वर ही समस्त मानवता का ईश्वर था <br />
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== सामाजिक विचार ==
- राजा साहब के जीवन मे सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिन्दु वह था जब उनके सामने उनके बड़े भाई
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- राजा साहब के जीवन मे सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिन्दु वह था जब उनके सामने उनके बड़े भाई
की पत्नी को जबरन सति कर दिया गया इस क्षण से वे समाज सुधारक बन गए तथा सती प्रथा ,सहित सभी <br />अमानवीय ,अन्ध्विश्वाशी ,सामाजिक प्रथाओ के विरोधी बन गए<br />
 
== सामाजिक योगदान ==
[[शब्द कौमुदी]] का सम्पादन -प्रकाशन कर [[सती प्रथा]] के विरोध मे जनमत तैयार किया इसी लक्ष्य हेतु ब्रिटिश सरकार को प्रथान पत्र दिया जिसके चलते 1829 का सती प्रथा निरोधक क़ानून बना यह सामाजिक विधि का प्रारम्भ था <br />
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१ शब्द कौमुदी का सम्पादन प्रकाशन कर सती प्रथा के विरोध मे जनमत तैयार किया इसी लक्ष्य हेतु ब्रिटिश सरकार को प्रथान पत्र दिया जिसके चलते 1829 का सती प्रथा निरोधक क़ानून बना यह सामाजिक विधि का प्रारम्भ था <br />
 
==स्थान==
[[कलकत्ता]]
 
==उद्देश्य==
* हिन्दु समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करना
 
 
{{साँचा:हिन्दू सुधार आन्दोलन}}