"सफेद दाग": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 2:
'''सफेद दाग''' (Leukoderma / ल्यूकोडर्मा) एक [[चर्म रोग|त्वचा रोग]] है। इस रोग से ग्रसित लोगों के बदन पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग आकार के सफेद दाग आ जाते हैं। विश्व में एक से दो प्रतिशत लोग इस रोग से प्रभावित हैं, लेकिन [[भारत]] में इस रोग के शिकार लोगों का प्रतिशत चार से पांच है। [[राजस्थान|राजस्थान]] और [[गुजरात]] के कुछ भागों में पांच से आठ प्रतिशत लोग इस रोग से ग्रस्त हैं। शरीर पर सफेद दाग आ जाने को लोग एक कलंक के रूप में देखने लगते हैं और कुछ लोग भ्रम-वश इसे [[कुष्ठ रोग]] मान बैठते हैं।
इस रोग से प्रभावित लोग ज्यादातर हताशा में रहते हैं और उन्हें लगता है कि समाज ने उन्हें बहिष्कृत किया हुआ है। इस रोग के [[ऍलोपैथी|एलोपैथी]] और अन्य चिकित्सा-पद्धतियों में इलाज हैं। [[शल्यचिकित्सा]] से भी इसका इलाज किया जाता है, लेकिन ये सभी इलाज इस रोग को पूरी तरह ठीक करने के लिए संतोषजनक नहीं हैं। इसके अलावा इन चिकित्सा-पद्धतियों से इलाज बहुत महंगा है और उतना कारगर भी नहीं है। रोगियों को इलाज के दौरान फफोले और जलन पैदा होती है। इस कारण बहुत से रोगी इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं। डिबेर के वैज्ञानिकों ने इस रोग के कारणों पर ध्यान केंद्रित किया है और हिमालय की जड़ी-बूटियों पर व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान करके एक समग्र सूत्र तैयार किया है। इसके परिणामस्वरूप एक सुरक्षित और कारगर उत्पाद श्री च्यवन आयुर्वेद ने विकसित किया जो बहुत ज्यादा प्रभावशाली है । औषधि का ऑर्डर इन नंबर से कर सकते है 9516264444 पर । इलाज की दृष्टिसे ल्यूकोस्किन बहुत प्रभावी है और यह शरीर के प्रभावित स्थान पर त्वचा के रंग को सामान्य बना देता है। इससे रोगी का मानसिक तनाव समाप्त हो जाता है और उसके अंदर आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
== बाहरी कडियाँ ==
|