"राजनीतिक दर्शन": अवतरणों में अंतर

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'''राजनीतिक दर्शन''' (Political philosophy) के अन्तर्गत [[राजनीति]], [[स्वतन्त्रता|स्वतंत्रता]], [[न्याय]], [[सम्पत्ति]], [[अधिकार]], [[विधि|कानून]] तथा सत्ता द्वारा कानून को लागू करने आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है : ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, कौन सी वस्तु [[राज्य के लिए औचित्य|सरकार को 'वैध']] बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है आदि।
 
प्राचीन काल में सारा व्यवस्थित चिंतन दर्शन के अंतर्गत होता था, अतः सारी विद्याएं [[दर्शनशास्त्र|दर्शन]] के विचार क्षेत्र में आती थी। राजनीति सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीति के भिन्न भिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता हैं। राजनीति का संबंध मनुष्यों के सार्वजनिक जीवन से हैं। परम्परागत अध्ययन में चिन्तन मूलक पद्धति की प्रधानता थी जिसमें सभी तत्वों का निरीक्षण तो नहीं किया जाता हैं, परन्तु तर्क शक्ति के आधार पर उसके सारे संभावित पक्षों, परस्पर संबंधों प्रभावों और परिणामों पर विचार किया जाता हैं।हैं।Ausogenosubwksudbms sjdkdohdnd ki dhd shjdi djdd dhddjdhskidhe d dudh eidndkissj
 
== परिचय ==