"पृथ्वीराज रासो": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोत कम|date=जुलाई 2020}}
[[चित्र:Prithviraj Raso.jpg|thumb|right|300px|'''पृथ्वीराज रासो''' के प्रथम खंड का तिवारीजी प्रचारिणी सभा]] द्वारा प्रकाशित)]]
'''पृथ्वीराज रासो''' [[हिन्दी|हिन्दी भाषा]] में लिखा एक [[महाकाव्य]] है जिसमें [[पृथ्वीराज चौहान]] के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता [[चंदबरदाई]]
पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय [[वीर रस]] की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे। ११६५ से ११९२ के बीच [[पृथ्वीराज चौहान]] का राज्य [[अजमेर]] से [[दिल्ली]] तक फैला हुआ था। पृथ्वीराज रासो और पृथ्वीराज काव्य के अनुसार पृथ्वीराज का जन्म क्षत्रिय राजपूत कुल में हुआ था<ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref><ref name=":1">{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=NvUBEAAAQBAJ&lpg=PR1&dq=prithviraj%20raso%20mention%20prithviraj%20chauhan%20was%20rajput&pg=PR1#v=onepage&q=pr|title=Prithviraj Chauhan - a Light on the Mist in History|last=Rathore|first=Virendra Singh|date=2020-09-29|publisher=Virendra Singh Rathore|isbn=978-1-63640-019-8|language=en}}</ref> । कई कोणों से रासो ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पृथ्वीराज एक राजपूत थे, एक क्षत्रिय थे<ref name=":1" /><ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref>। २०२० में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में दिल्ली में एक समिति बिठाई गई जिसमे १५ से अधिक भारतीय विश्वाध्यालयों के प्रोफेसर को शामिल किया गया<ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref> , इन १५ + विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने रासो और तमाम इतिहासिक सक्सों का अध्ययन करके पृथ्वीराज चौहान को एक क्षत्रिय राजपूत बताया है<ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref> तथा उनके दादा अनंगपाल के भी राजपूत होने के तमाम सक्श सबके सामने रखे<ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref> ,इसकी तमाम जानकारी भारतीय सरकार के वेबसाइट पे है<ref name=":0">{{Cite web|url=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|title=अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|last=द्वितीय|first=अनंगपाल तोमर|date=25 / 02 / 2021|website=https://www.nma.gov.in › Na...DOC
अनंगपाल तोमर द्वितीय Founder of Delhi: King Anangpal Tomar-II|archive-url=}}</ref>।
 
"पृथ्वीराजरासो ढाई हजार पृष्ठों का बहुत बड़ा ग्रंथ है तिवारीजी लिखित जिसमें ६९ समय (सर्ग या अध्याय) हैं। प्राचीन समय में प्रचलित प्रायः सभी [[छंद|छन्दों]] का इसमें व्यवहार हुआ है। मुख्य छन्द हैं - [[कवित्त]] ([[छप्पय]]), [[दूहा]] ([[दोहा]]), [[तोंगर गोत्र|तोमर गोत्र]] (राजपूतगुर्जर)<ref name=":0" />|[[तोंगर]], [[त्रोटक]], [[गाहा]] और [[आर्या छन्द|आर्या]]। जैसे [[कादम्बरी]] के सम्बन्ध में प्रसिद्ध है कि उसका पिछला भाग [[बाण भट्ट]] के पुत्र ने पूरा किया है, वैसे ही पृथ्वीराजरासो के पिछले भाग का भी चंद के पुत्र [[जल्हण]] द्वारा पूर्ण किया गया है। रासो के अनुसार जब [[मोहम्मद ग़ोरी|शहाबुद्दीन गोरी]] पृथ्वीराज को कैद करके [[ग़ज़नी]] ले गया, तब कुछ दिनों पीछे चंद भी वहीं गए। जाते समय कवि ने अपने पुत्र जल्हण के हाथ में रासो की पुस्तक देकर उसे पूर्ण करने का संकेत किया। जल्हण के हाथ में रासो को सौंपे जाने और उसके पूरे किए जाने का उल्लेख रासो में है -
 
: ''पुस्तक जल्हण हत्थ दै चलि गज्जन नृपकाज।''