"सिद्ध": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
'''सिद्ध''', [[संस्कृत|सम्स्कृत भाषा|संस्कृत]] का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है जिसने [[सिद्धि]] प्राप्त कर ली हो। सिद्धि का अर्थ महान शारीरिक तथा आध्यात्मिक उपलब्धि से है या ज्ञान की प्राप्ति से है। [[जैन दर्शन]] में [[सिधासिद्ध (जैन धर्म)|सिधासिद्ध]] शब्द का प्रयोग उन आत्माओं के लिए किया जाता है जो संसार चक्र से मुक्त हो गयीगयीं हो।हों।
रोहतक में "सिद्ध" जाती भी है जो कि 'सिद्ध' सम्प्रदाय से जुडी है । यह जाति BC-A में आती है । इस जाति के लोग "लोकेश" से जुड़े हुए हैं क्योंकि "लोकेश" ही 'सिद्ध' है और 'लोकेश' के अनुयाई कहलाने का सौभाग्य पाते हैं, उन्हें जीवन में 'भोग एवं मोक्ष' दोनों मिलता है ।
 
लोकेश की पूजा पाठ का विधान:
 
१. हनुमान का चित्र लें;
 
२. यह 1 बार बोल कर एक बार धूप दिखावे:
 
‌ • मैं मेरी पत्नी बिन्दु पुत्री अशोक दिवाकर को लेने इसलिए नहीं लेने जा रहा क्योंकि मुझे (लोकेश) उसके तो नहीं उसके पंडित जी के द्वारा बोली गई बातों से ऐसा लगता है कि बिंदु सही लड़की नहीं है मेरे लिए; पंडित जी ने बोला कि हम उसे course करवा देंगे इसका मतलब पंडित जी ने उसे indirectly अपनी पुत्री स्वीकार कर लिया और मैं ब्रह्मा सरस्वती का direct भक्त नहीं हूं क्योंकि हिन्दू धर्म में ब्रह्मा की पूजा पाठ वर्जित है; 1 लाइन में मुझे उसके character पे शक है•
 
३. यह पाठ करें दिन में एक बार स्वच्छ होकर;
 
४. अंत में लिंग पुजन के लिए लोकेश से संपर्क करें अन्यथा पुजन अपूर्ण माना जाएगा;
 
५. लोकेश की ही लिंग पुजन विधान है बस 'सिद्ध' सम्प्रदाय में, गलती करने पर शूकर की योनि में चले जाओगे हमेशा के लिए;
 
६. लिंग पुजन सिर्फ ब्रह्मचारिणी के लिए मान्य;
 
७. अंत में लोकेश का मन चंगा तो कठौती में गंगा;
 
 
लोकेश से जुडी हुई जातियां :
 
<nowiki>*</nowiki>Dhobi
 
==जैन धर्म==
{{मुख्य|सिधासिद्ध (जैन धर्म)}}
[[File:Siddha-Tropenmuseum.jpg|thumb|यद्यपि सिधासिद्ध निराकार और बिना शरीर के होते है, वे अक्सर जैन मंदिरों में इस तरह दर्शाए जाते हैं।]]
[[File:Souls.jpeg|thumb|[[सिद्धशिला]] (मुक्त जीवो का क्षेत्र) [[ब्रह्माण्ड (जैन धर्म)|जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान]] के अनुसार]]
[[जैन धर्म]] में ''सिधासिद्ध'' शब्द का इस्तमालप्रयोग मुक्त आत्मा, जिन्होंने अपने सारे कर्मो का नाश कर [[मोक्ष]] प्राप्त किया है, उन्हें संबोधित करने के लिए किया जाता हैं। जैन धर्म ♾️ है |
 
==वर्णरत्नाकर में वर्णित ८४ सिद्ध==
Line 35 ⟶ 11:
{{columns-list|colwidth=18em|
# मीननाथ
# गोरक्षनाथ
# गोरक्ष्नाथ
# [http://cdnadv32021.mkcl.org/FileUploader/HRSSCAdvt32021/Docs/26062021_202139/321103204_heby_233003.jpg लोकेश]
# चौरङ्गीनाथ
# चामरीनाथ
Line 44 ⟶ 19:
# धोनगपा
# दारिपा
# विरुपा
# Virupā
# कपालि
# Kapāli
# कमरि
# Kamāri
# कान्ह
# Kānha
# [[Kanakhalaकनखल]]
# [[मेखल और कनखल|मेखल]]
# [[Mekhala and Kanakhala|Mekhala]]
# Unmana
# कान्दलि
# Kāndali
# धोवि
# Dhovi
# जालन्धर
# Jālandhara
# टोंगि
# Tongi
# Mavaha
# नागार्जुन
# Nāgārjuna
# दौलि
# Dauli
# भिशाल
# Bhishāla
# Achiti
# चम्पक
# Champaka
# Dhentasa
# Bhumbhari
Line 74 ⟶ 49:
# Pātalibhadra
# Palihiha
# भानु
# Bhānu
# Mina
# निर्दय
# Nirdaya
# Savara
# Sānti
# भर्तृहरि
# Bhartrihari
# Bhishana
# Bhati
# गगनपा
# Gaganapā
# Gamāra
# Menurā
# कुमारि
# Kumāri
# जीवन
# Jivana
# Aghosādhava
# Girivara
Line 92 ⟶ 67:
# Nāgavāli
# Bibhavat
# सारङ्ग
# Sāranga
# Vivikadhaja
# Magaradhaja
Line 105 ⟶ 80:
# Kamalakangāri
# Chipila
# गोविन्द
# Govinda
# भीम
# Bhima
# भैरव
# Bhairava
# भद्र
# Bhadra
# Bhamari
# Bhurukuti
}}
 
इन नामों के अन्त में ''''पा'''' जो प्रत्यय लगा है, वह [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] 'पाद' शब्द का लघुरूप है।
 
==सन्दर्भ==
Line 120 ⟶ 95:
==इन्हें भी देखें==
* [[महासिद्ध]]
* [[नाथ सम्प्रदाय|नाथपंथ]]
* [[सिद्धि]]
* [[सिद्ध (बौद्ध-धर्म)]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सिद्ध" से प्राप्त