"भारत छोड़ो आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:QUITIN1.JPG|thumb|| [[बंगलुरू]] के बसवानगुडी में [[दीनबन्धु सी एफ् ऐन्ड्रूज]] का भाषण]]
[[चित्र:QUITIN2.JPG|right|thumb|300px|बंगलुरु में भारत छोड़ो आन्दोलन का एक प्रदर्शन]]
'''भारत छोड़ो आन्दोलन''', [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के समय 8 अगस्त
[[क्रिप्स मिशन]] की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्यवाहियों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में [[जयप्रकाश नारायण]] जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में [[सतारा]] और पूर्व में [[मेदिनीपुर]] जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया।
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