"परशुराम": अवतरणों में अंतर

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'''परशुराम''' [[त्रेतायुग|त्रेता युग]] (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे। जो [[विष्णु]] के [[अवतारदशावतार|अंशावतारछठा अवतार]] हैं<ref name="जोशी २०१८">{{cite web | last=जोशी | first=अनिरुद्ध | title=parshuram - भगवान परशुराम का जन्म कब और कहां हुआ था? | website=Webdunia Hindi | date=१६ अप्रैल २०१८ | url=http://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-mahapurush/lord-parshuram-birthplace-and-time-118041600053_1.html | language=हिन्दी भाषा | accessdate=१७ अप्रैल २०१८ | archive-url=https://web.archive.org/web/20180418031635/http://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-mahapurush/lord-parshuram-birthplace-and-time-118041600053_1.html | archive-date=18 अप्रैल 2018 | url-status=dead }}</ref>। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि [[भृगु]] के पुत्र महर्षि [[जमदग्नि ऋषि|जमदग्नि]] द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज [[इन्द्र]] के वरदान स्वरूप पत्नी [[रेणुका]] के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार हैं। पितामह [[भृगु]] द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और [[शिव|शिवजी]] द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि [[विश्वामित्र]] एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि [[कश्यप]] से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर [[कैलास पर्वत|कैलाश गिरिश्रृंग]] पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया।
 
[[File:Parashurama with axe.jpg|thumb|right|300px|[[राजा रवि वर्मा]] द्वारा परशुराम जी का चित्र।]]