"लक्ष्मणराव इनामदार": अवतरणों में अंतर

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'''लक्ष्मणराव इनामदार''' (१९१७ - १९८४) [[गुजरात]] के [[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]] के प्रारम्भिक नेताओं में से एक तथा [[सहकार भारती]] के संस्थापक थे। वे 'वकील साहब' नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते वे आजीवन अविवाहित और सादे जीवन के नियम का पालन करते रहे।<ref>[https://sahakarbharti.org/shuruaat/ सहकार भारती के प्रेरणा पुरुष श्रद्धेय लक्ष्मणराव इनामदार जन्मशती वर्ष की शुरुआत]{{Dead link|date=जनवरी 2021 |bot=InternetArchiveBot }}</ref> माना जाता है कि [[भारत]] के वर्तमान प्रधानमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] के जीवनपथ के निर्माण में लक्ष्मणराव की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जब लक्ष्मणराव गुजरात के प्रान्त-प्रचारक थे, उसी कालखण्ड में नरेन्द्र मोदी प्रचारक ब्ने थे।
 
लक्ष्मणराव इनामदार का जन्म 1917 में [[पुणे]] से 130 किलोमीटर दक्षिण में [[सतारा जिला|सतारा जिले]] के खाटव गांव में हुआ था। इनके पूर्वज श्रीकृष्णराव खटावदार ने [[छत्रपति शिवाजी|शिवाजी]] के काल में स्वराज की बहुत सेवा की थी, अतः [[शिवाजी]] के पौत्र [[छत्रपति शाहूजीसाहू जी महाराज]] ने उन्हें इनाम में कुछ भूमि और 'सरदार' की उपाधि दी। तबसे यह परिवार 'इनामदार' कहलाने लगा। उनके पिता राजस्व अधिकारी थे और कुटुम्ब बड़ा था। वकील साहब के कुटुम्ब में उनके सात भाई और दो बहिन, चार विधवा [[बुआ]] तथा उनके बच्चे सब साथ रहते थे। आर्थिक कठिनाई के बाद भी उनके पिता तथा दादाजी ने इन सबको निभाया। इससे वकील साहब के मन में सबको साथ लेकर चलने का संस्कार निर्माण हुआ। उनकी शिक्षा ग्राम दुधोंडी, खटाव तथा [[सतारा]] में हुई। 1939 में सतारा में एल.एल.बी. करते समय [[हैदराबाद रियासत|हैदराबाद के निजाम]] के विरुद्ध आन्दोलन जोरों पर था। लक्ष्मणराव ने शिक्षा अधूरी छोड़कर 150 महाविद्यालयीन छात्रों के साथ आंदोलन में भाग लिया।
 
लक्ष्मणराव सन् 1943 में [[पुणे विश्वविद्यालय]] से कानून की उपाधि लेते ही संघ से जुड़ गए थे। उस वर्ष महाराष्ट्र के अनेक युवक एक वर्ष के लिए प्रचारक बने जिनमें से एक लक्ष्मणराव भी थे जिन्हें गुजरात में [[नवसारी]] नामक स्थान पर भेजा गया। 1952 में वे गुजरात के प्रान्त प्रचारक बनाए गए। उनके परिश्रम से अगले चार साल में वहां 150 शाखाएं हो गयीं। वकील साहब भाषा, बोली या वेशभूषा से सौराष्ट्र के एक सामान्य गुजराती लगते थे। वे स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए आसन, व्यायाम, ध्यान, प्राणायाम तथा साप्ताहिक उपवास आदि का निष्ठा से पालन करते थे। 1973 में क्षेत्र प्रचारक का दायित्व मिलने पर गुजरात के साथ [[महाराष्ट्र]], [[विदर्भ]] तथा [[नागपुर]] में भी उनका प्रवास होने लगा। अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख बनने पर उनके अनुभव का लाभ पूरे देश को मिलने लगा।