"दलित": अवतरणों में अंतर
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|related = इंडो आर्यन, द्रविड़, मुंडा
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'''दलित''' अंग्रेज़ी शब्द डिप्रेस्ड क्लास का हिन्दी अनुवाद है। [[भारत]] में वर्तमान समय में 'दलित' शब्द का अनेक अर्थों में उपयोग होता है। वैसे (sc ) कटेगरी me पासी जाति दलित में नही आती तो इसकी कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं हो सकती, किन्तु मोटे तौर पर उन वर्गों को दलित कहा जाता है जो वर्तमान में [[अनुसूचित जाति]] के अन्तर्गत आते हैं। दलित शब्द का अर्थ पीड़ित, शोषित, 'दबाया हुआ' एंव 'जिनका हक छीना गया हो' होता है। इस अर्थ में हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि सभी धर्मों में दलित वर्ग मौजूद है। वर्तमान समय में जिनको दलित समझा जाता है उनमें से अनेक वर्गों को पहले 'अछूत' या 'अस्पृश्य' माना जाता था। उनका अनेक प्रकार से शोषण हुआ। [[भारत की जनगणना २०११]] के अनुसार भारत की जनसंख्या में लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलितों की है।<ref name="m.timesofindia.com"/>
== अर्थ व अवधारणा ==
दलित शब्द का शाब्दिक अर्थ है- दलन किया हुआ। इसके तहत वह हर व्यक्ति आ जाता है जिसका शोषण-उत्पीडन हुआ है। रामचन्द्र वर्मा ने अपने शब्दकोश में दलित का अर्थ लिखा है, ''मसला हुआ, मर्दित, दबाया, रौंदा या कुचला हुआ, विनष्ट किया हुआ।''<ref>संक्षिप्त शब्द सागर -रामचन्द्र वर्मा (सम्पादक), नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, नवम संस्करण, 1987, पृष्ठ 468</ref> पिछले छह-सात दशकों में 'दलित' पद का अर्थ काफी बदल गया है। डॉ॰ [[भीमराव अम्बेडकर]] के आंदोलन के बाद यह शब्द हिंदू समाज व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर स्थित सैकड़ो वर्षों से अस्पृश्य समझी जाने वाली तमाम जातियों के लिए सामूहिक रूप से प्रयोग होता है। अब दलित पद अस्पृश्य समझी जाने वाली जातियों की आंदोलनधर्मिता का परिचायक बन गया है। [[भारतीय संविधान]] में इन जातियों को [[अनुसूचित जाति]] नाम से जाना जाता है।<ref>{{Cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/india/from-buddhist-texts-to-east-india-company-to-now-dalit-has-come-a-long-way/articleshow/65678182.cms|title=From Buddhist texts to East India Company to now, ‘Dalit’ has come a long way - Times of India|website=The Times of India|accessdate=1 मार्च 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190407225654/https://timesofindia.indiatimes.com/india/from-buddhist-texts-to-east-india-company-to-now-dalit-has-come-a-long-way/articleshow/65678182.cms|archive-date=7 अप्रैल 2019|url-status=live}}</ref> भारतीय समाज में वाल्मीकि या [[भंगी]] को सबसे नीची जाति समझा जाता रहा है और उसका पारंपरिक पेशा मानव मल की सफाई करना रहा है। परन्तु आज के समय में इस स्थिति में बहुत बदलाव आया है।
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