नया पृष्ठ: तू बादशाह हैं इस युग का घुट- घुट कर जीना छोड़ दे। हिम्मत कर तू खड़्ग उठा दुश्मन की सीना चीर दे। उठना हैं अब तुझे गिरना नही हर पल आगे ही बढ़ना हैं राहो में मिलेंगे तूफान कई...
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तू बादशाह हैं इस युग का
घुट- घुट कर जीना छोड़ दे।
हिम्मत कर तू खड़्ग उठा
दुश्मन की सीना चीर दे।
उठना हैं अब तुझे गिरना नही
हर पल आगे ही बढ़ना हैं
राहो में मिलेंगे तूफान कई
मुश्किलों से तुम्हे लड़ना हैं
तू बादशाह हैं इस युग का
घुट – घुट कर जीना छोड़ दे।
नदियां नही डरती पहाड़ से
सिंह भी नही डरता दहाड़ से
तो तुम कैसे फिर डर जाओगे
इन गीदड़ की ललकारो से
उठ कर सीना तान चलो तुम
अब तेरी ही बारी हैं
तू बादशाह हैं इस युग का
घुट- घुट कर जीना छोड़ दे।
मकड़ी जाल बनाने में चढ़ता और गिरता हैं
चींटी भी दाना लाने में कई बार फिसलता हैं
मुश्किलें तो उन्हें आतें हैं
पर वे ताकत से नही हौसले से जीत जाते हैं
अब तुम भी अपने अंदर
हौसलें की ताकत भर लें
तू बादशाह हैं इस युग का
घुट- घुट के जीना छोड़ दे।
हिम्मत कर तू खड़्ग उठा
दुश्मन की सीना चीर दे ।।
--पीयूष प्रकाश वैद्य