"जयपुर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो →दर्शनीय स्थल: जयपुर सिटी पैलेस टैग: Reverted coi-spam यथादृश्य संपादिका |
छो Link Spamming/Promotional Links/Self Published Links टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 71:
शहर में बहुत से पर्यटन आकर्षण हैं, जैसे [[जंतर मंतर]], [[हवा महल]], [[सिटी पैलेस]], [[गोविंददेवजी का मंदिर]], [[श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर|श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदि]]<nowiki/>र, <nowiki/>[[बी एम बिड़ला तारामण्डल]], [[आमेर का किला]], [[जयगढ़ दुर्ग]] आदि। जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी हैं, जिनमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, हस्तकला से युक्त वनस्पति रंगों से बने वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल का सजावटी सामान, राजस्थानी चित्रकला के नमूने, नागरा-मोजरी जूतियाँ, ब्लू पॉटरी, हाथीदांत के हस्तशिल्प और सफ़ेद संगमरमर की मूर्तियां आदि शामिल हैं। प्रसिद्ध बाजारों में जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई. रोड़ के साथ लगे बाजार हैं।<ref name = "इलाहाबाद ">{{cite web|url= http://profile.iiita.ac.in/IIT2006104/Projects/urduNER/hindi.txt|title= जयपुर पर १०० वाक्य|accessmonthday= |accessyear= |accessdaymonth= |author= |last= उर्मान|first= डैविश|authorlink= |coauthors= |date= |year= |month= |format= |work= |publisher= इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद|pages= ०१०३|language= हिन्दी}}{{Dead link|date=जनवरी 2021 |bot=InternetArchiveBot }}</ref>
;'''
राजस्थानी व मुगल शैलियों की मिश्रित रचना एक पूर्व शाही निवास जो पुराने शहर के बीचोंबीच है। भूरे संगमरमर के स्तंभों पर टिके नक्काशीदार मेहराब, सोने व रंगीन पत्थरों की फूलों वाली आकृतियों से अलंकृत है। संगमरमर के दो नक्काशीदार हाथी प्रवेश द्वार पर प्रहरी की तरह खड़े है। जिन परिवारों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजाओं की सेवा की है। वे लोग गाइड के रूप में कार्य करते है। पैलेस में एक संग्राहलय है जिसमें राजस्थानी पोशाकों व मुगलों तथा राजपूतों के हथियार का बढ़िया संग्रह हैं। इसमें विभिन्न रंगों व आकारों वाली तराशी हुई मूंठ की तलवारें भी हैं, जिनमें से कई मीनाकारी के जड़ाऊ काम व जवाहरातों से अलंकृत है तथा शानदार जड़ी हुई म्यानों से युक्त हैं। महल में एक कलादीर्घा भी हैं जिसमें लघुचित्रों, कालीनों, शाही साजों सामान और अरबी, फारसी, लेटिन व संस्कृत में दुर्लभ खगोल विज्ञान की रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है जो सवाई जयसिंह द्वितीय ने विस्तृत रूप से खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्राप्त की थी।
|