"समस्या": अवतरणों में अंतर

छो 2409:4053:2D98:1D89:ACB5:DE95:3420:3EED (Talk) के संपादनों को हटाकर रोहित साव27 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
समस्या शब्द की व्याख्या की गई है कि वास्तव में समस्या है क्या
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
बाधा, कठिनाई या चुनौती को '''समस्या''' कहते हैं या ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति सुल्झाने का प्रयत्न करता है।
{{आधार}}
समस्या शब्द अपने अंदर अनेक प्रकार की जटिलताएं तथा अनेक प्रकार की परिभाषाएं लिए हुए होता है। अतः समस्या शब्द भिन्न भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न मानदंडों पर भिन्न भिन्न प्रकार से अपना महत्व दर्शाता है। मोटे तौर पर देखें तो समस्या का शाब्दिक अर्थ होता है किसी प्रकार की अड़चन, कठिनाई, बाधा अथवा चुनौती परंतु समस्या क्या है। इसकी एक परिभाषा बनाना कठिन मालूम पड़ता है क्योंकि समस्या किसी एक संदर्भ में दो प्रकार की होती है जैसे शारीरिक और मानसिक समस्या इन दो शब्दों में जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं का समावेश किया जा सकता है। परंतु समस्या शब्द का दूसरे मापदंडों पर भिन्न प्रकार का महत्व प्रदर्शित होता है जैसे सामाजिक समस्या, व्यवहारिक समस्या, पारिवारिक समस्या, धन संपदा, बच्चे, शिक्षा, आदि प्रकार से भिन्न भिन्न प्रकार की समस्याएं हुआ करती हैं। परंतु समस्या का जो प्रमुख कारण है वह मनुष्य का मन ही है यदि मनुष्य अपने मन को संतोष की सीमा में स्थापित कर दे तो अनेक प्रकार की समस्याएं हैं स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं एक अन्य और कारण है जिससे भी मनुष्य अपनी समस्याओं से किसी हद तक छुटकारा पा सकता है वह संदर्भ शास्त्रोक्त नियमों के आधार पर यदि मनुष्य यह मान ले की जीवन में घटने वाली सभी घटनाओं के पीछे प्रारब्ध अर्थात पिछले जन्म में किए हुए शुभाशुभ कर्मों का ही फल है जिसे आम भाषा में बहुत से लोग कह देते हैं। की होई वही जो राम रचि राखा। काहु तरक बढ़ावे ही साखा।। अर्थात जोजो जब-जब जैसा जैसा होना है वह तब-तब वैसा वैसा ही होता है यदि इस बात को भी स्वीकार कर लिया जाए तो भी मनुष्य की बहुत सी समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो सकती हैं। परंतु आजकल के संदर्भ में समस्या का प्रमुख कारण व्यक्ति की इच्छाएं, चाहतें और दूसरों से प्रभावित होकर उनके प्रति अपनी इच्छा प्रकट करना ही समस्या का मुख्य कारण है अतः कोई भी समस्या हो उस समस्या के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य हुआ करता है यदि मनुष्य उसके पीछे के कारण को समझ ले तो स्वयं ही उस समस्या का समाधान करने में समर्थ हो सकता है। अतः समस्या जीवन का एक अभिन्न अंग है और इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मनुष्य अपनी बुद्धि, विवेक, सहनशीलता, साहस, आत्मविश्वास आदि गुणों से युक्त होकर जीवन में आगे बढ़े तो समस्याओं का समाधान करना स्वयं के लिए आसान हो सकता है। अस्तु।
 
आचार्य अशोक कुमार शर्मा
धर्मशास्त्र अनुसंधान केंद्र
Our Youtube Chanel-Acharya Ashok Kumar Sharma