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यह संगीति [[मगध महाजनपद|मगधसम्राट]] [[अजातशत्रु]] द्वारा [[राजगृह]] आहूत में की गयी थी। इसमें ५०० से ३०० [[भिक्खु|भिक्षुओं]] ने भाग लिया था। सूत्रों के अनुसार राजगृह में यह संगीति [[सप्तपर्णी गुफा]], क्षत्रिय गुफा, पिप्पल पर्वत या [[गृधकूट]] में हुई थी। इस संगीति की अध्यक्षता [[महाकाश्यप]] ने की थी। इस संंगीति में ज्ञान की प्राप्ति कर जैन भिक्षुओं मौक्ष पाने के लिए स्वंय को धर्म पथ पर अपना जीवन व्यतीत करते थे।
प्रथम बौद्ध संगीति के कार्य-
 
1) सुत्त पिटक का संकलन आनंद ने किया।
2) विनय पिटक का संकलन उपाली ने किया।
[[श्रेणी:बौद्ध धर्म]]
[[श्रेणी:बौद्ध संगीति]]