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लहू तो खुद मरा हुआ है ज़िंदा है इन्सान के शरीर में सांसे चलती है तो दिल मे हल्की सी धड़कन होती है मगर दिल को ही ख़बर नहीं ये धड़कन क्या होती है एहसास जिस मनुष्य में नहीं वे ना मूसाएद होता हैं वसी अहमद कादरी वसी अहमद अंसारी ब्रह्माण्ड विचारक ✓ कवि ✓ लेखक
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लहू तो खुद मरा हुआ है ज़िंदा है इन्सान के शरीर में
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सांसे चलती है तो दिल मे हल्की सी धड़कन होती है
मगर दिल को ही ख़बर नहीं ये धड़कन क्या होती है
एहसास जिस मनुष्य में नहीं वे ना मूसाएद होता हैं
 
वसी अहमद कादरी
वसी अहमद अंसारी
ब्रह्माण्ड विचारक ✓ कवि ✓ लेखक
 
 
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