"ओड़िया साहित्य": अवतरणों में अंतर
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=== पूर्वमध्ययुग ===
इस युग में में पंचसखाओं के साहित्य की प्रधानता है। ये पंचसखा हैं - [[बलरामदास]], [[जगन्नाथदास]], [[यशोवन्तदास]], [[अनन्तदास]] और [[अच्युतानन्ददास]]। चैतन्यदास के साथ सख्य स्थापित करने के कारण ये 'पंचसखा' कहलाए। वे 'पंच शाखा' भी कहलाते हैं। इनके उपास्य देवता थे [[जगन्नाथ मन्दिर, पुरी|पुरी]] के [[जगन्नाथ मन्दिर, पुरी|जगन्नाथ]], जिनकी उपासना शून्य और [[कृष्ण]] के रूप में
16वीं शताब्दी के प्रथमार्ध में [[दिवाकरदास]] ने "
पञ्चसखाओं के वैशिष्त्य का वर्णन नीचे इस ओडिया कविता में देखिये-
: ''अगम्य भाब
: ''गारा कटा यन्त्र
: ''आगत नागत अच्युत
: ''बलराम दास तत्त्व
: ''भक्तिर भाब
: ''पञ्चसखा ए
: ''
इसी युग में शिशुशंकरदास, कपिलेश्वरदास, हरिहरदास, देवदुर्लभदास, तथा प्रतापराय की क्रमश : "उषाभिलाष", "कपटकेलि", "चद्रावलिविलास", "रहस्यमंजरी" और "शशिसेणा" नामक कृतियाँ भी उपलब्ध हैं।
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