हिंदू पंचांग के हर एक माह की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। आपको बता दें कि हिन्दू पंचांग के प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं जिन्हें शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष कहा जाता है। प्रत्येक पक्ष लगभग 15 दिनों का होता है। इसलिए प्रत्येक पक्ष में एक बार एकादशी तिथि आती है और एक माह में दो एकादशी तिथियां होती हैं जो कि एक शुक्ल पक्ष तथा दूसरी कृष्ण पक्ष में होती है।
एक एकादशी पूर्णिमा के बाद और एक अमावस्या के बाद आती है। पूर्णिमा के दिन के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है तथा अमावस्या के दिन के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है। इन दोनों प्रकार की एकादशियों का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्त्व है। एकादशी का दिन भगवन श्री विष्णु जी तथा उनके विभिन्न अवतारों के लिए समर्पित है।
एकादशी के दिन हिन्दू धर्म में मानने वाले कई लोग व्रत का पालन करते हैं तथा एकादशी व्रत कथाओं<ref>{{cite web |title=Ekadashi Vrat Katha (एकादशी व्रत कथा) In Hindi - One Hindu Dharma |url=https://onehindudharma.org/ekadashi-vrat-katha-in-hindi/ |website=One Hindu Dharma |publisher=onehindudharma.org |language=hi-IN |date=14 नवम्बर 2021}}</ref> का पाठ करते हैं। प्रत्येक एकादशी के दिन के लिए व्रत कथा का वर्णन है।
प्राचीन काल में भगवन श्री कृष्ण जी ने एकादशियों का माहात्म्य पांडवों को बतलाया था।{{बहुविकल्पी शब्द}}