"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर
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वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है।<ref>{{Cite web|url=https://khabar.ndtv.com/news/faith/basant-panchami-2021-basant-panchami-date-puja-timing-significance-shubh-muhurat-saraswati-puja-vidhi-and-mantra-2369852|title=Basant Panchami 2021: 16 फरवरी को है बसंत पंचमी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और मान्यताएं|website=NDTVIndia|access-date=2021-02-14}}</ref>
यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल
कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।
[[चित्र:Mustard Fields.jpg|right|thumb|450px|वसन्त पञ्चमी के समय सरसो के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है।]]
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