"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर

By telling them Importance of vasant panchami in Jainism
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'''वसंत पञ्चमी''' या '''श्रीपंचमी''' एक [[हिन्दू]] त्यौहार है। इस दिन [[विद्या]] की [[देवी]] [[सरस्वती]] की [[पूजा]] की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर [[बांग्लादेश]], [[नेपाल]] और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन [[पीला|पीले]] वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।
 
The Jains celebrate Vasant Panchami because one of their great teacher was born named Aacharya Kund Kund Swamy on this day. They also celebrate their sacred festival named Daslakshan parva. It comes 3 times in a year in the gap of every 4 months. The main one comes in September.
 
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें [[वसंत]] लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में [[सरसों]] का फूल मानो सोना चमकने लगता, [[जौ]] और [[गेहूँ]] की बालियाँ खिलने लगतीं, [[आम|आमों]] के पेड़ों पर मांजर (बौर) आ जाता और हर तरफ रंग-बिरंगी [[तितली|तितलियाँ]] मँडराने लगतीं। भर-भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए [[माघ]] महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें [[विष्णु]] और [[कामदेव]] की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।