प्रभाषगिरी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यमुना नदी के तट पर स्थित यह स्थान मंझनपुर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहाप्रभाषगिरी पहाड़ को रोहितगिरी के नाम से भी जाना जाता है किऔर भगवानइसे कृष्णकामदगिरि कीपर्वत मृत्युका इसीछोटा स्थानभाई परभी हुईकहा जाता थी।है। प्रभाषगिरि में दो पर्वत हैं जो कि यहां की समतल एवं उपजाऊ भूमि को देखते हुए बहुत ऊँचे हैं। वर्तमान समय में एक ऊंचे पर्वत पर बहुत बड़ा जैन मंदिर स्थित है जहां जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पद्म प्रभु से ने तप किया था तथा दूसरे पर्वत पर एकबहुला देवीगौ काधाम मन्दिर है। जैन मंदिर का निर्माण 1824 ई. में करवाया गया था। यहां पर एक नौ फीट लम्बी और सात फीट चौड़ी गुफा स्थित है। इस गुफा में दूसरी शताब्दी की ब्राह्मी लिपि में लिखी हुई मुद्रापत्र प्राप्त हुई थी। इसके अलावा, यह वही स्थान है जहां छठे जैनतीर्थंकर पदमप्रभु ने अपना अधिकांश जीवन व्यतीत किया था। वर्तमान समय में प्रभाषगिरि में प्रत्येक मकर संक्रान्ति को मेला लगता है और यहां आस-पास के जिलों के लोग आकर गृहस्थी के लिए प्रस्तर ( पत्थर ) के सामान खरीदते हैं तथा यहाँ रहने वाले जैन संन्यासियों एवं लोगों को यथेच्छानुसार दान करते हैं। कौशाम्बी के निवासियों के लिए पर्वतारोहण का यही सबसे अच्छा एवं नज़दीकी स्रोत माना जाता है।