"कौशाम्बी जिला": अवतरणों में अंतर

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माँ शीतला शक्तिपीठ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर प्रयागराज के उत्तर-पश्चिम से लगभग 69 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान क‌‌ो कडा़ धाम के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, यहां स्थित प्रमुख मंदिरों में हनुमान मंदिर, छत्रपाल मंदिर और कालेश्‍वर मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। मां शीतला देवी मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को देवी के 51 शक्तिपीठों में से सबसे प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है। सभी धर्मो के लोग मंदिर में मां के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में स्थित शीतला देवी की मूर्ति स्थित है। इस मूर्ति में माता गर्दभ पर बैठी हुई है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह में कृष्णपक्ष के अष्टमी पर यदि देवी शीतला की पूजा की जाए तो बुरी शक्तियों से पीछा छुटाया जा सकता है। यह मंदिर 1000 ई. में बनाया गया था। यह स्थान प्रसिद्ध संत मलूकदास की जन्मभूमि भी है। यहां पर संत मलूकदास का आश्रम और समाधि भी स्थित है। इसके अलावा, सिक्ख गुरू तेग बहादुर भी यहां आए थे।
 
=== श्री प्रभाषगिरी तीर्थक्षेत्र ===
[[चित्र:Prabhashgiri Teerthkshetra kaushambi.jpg|अंगूठाकार]]
प्रभाषगिरी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यमुना नदी के तट पर स्थित यह स्थान मंझनपुर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रभाषगिरी पहाड़ को रोहितगिरी के नाम से भी जाना जाता है और इसे कामदगिरि पर्वत का छोटा भाई भी कहा जाता है। प्रभाषगिरि में दो पर्वत हैं जो कि यहां की समतल एवं उपजाऊ भूमि को देखते हुए बहुत ऊँचे हैं। वर्तमान समय में एक ऊंचे पर्वत पर बहुत बड़ा जैन मंदिर स्थित है जहां जैन धर्म के छठे तीर्थंकर पद्म प्रभु से ने तप किया था तथा दूसरे पर्वत पर बहुला गौ धाम मन्दिर है। जैन मंदिर का निर्माण 1824 ई. में करवाया गया था। यहां पर एक नौ फीट लम्बी और सात फीट चौड़ी गुफा स्थित है। इस गुफा में दूसरी शताब्दी की ब्राह्मी लिपि में लिखी हुई मुद्रापत्र प्राप्त हुई थी। इसके अलावा, यह वही स्थान है जहां छठे जैनतीर्थंकर पदमप्रभु ने अपना अधिकांश जीवन व्यतीत किया था। वर्तमान समय में प्रभाषगिरि में प्रत्येक मकर संक्रान्ति को मेला लगता है और यहां आस-पास के जिलों के लोग आकर गृहस्थी के लिए प्रस्तर ( पत्थर ) के सामान खरीदते हैं तथा यहाँ रहने वाले जैन संन्यासियों एवं लोगों को यथेच्छानुसार दान करते हैं। कौशाम्बी के निवासियों के लिए पर्वतारोहण का यही सबसे अच्छा एवं नज़दीकी स्रोत माना जाता है।