"अष्टांग योग": अवतरणों में अंतर

छो अष्टांग योग साधना के अंतिम पढ़ाव में हम अंतरंग साधना के अंतर्गत आने वाले धारणा, ध्यान व समाधि को जानेंगे। पूर्व के लेखों में हमने जाना किस प्रकार साधक स्वयं के चित्त को शुद्ध कर आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार का अभ्यास करते हुए चित्त की चंचलता को स्थिरता में ला अष्टांग योग के उच्चोत्तर अंग धारणा, ध्यान व समाधि की ओर अग्रशील होता एवं इन्हें सिद्ध करते हुए जीवन और योग के परम लक्ष्य समाधि को प्राप्त कर सकता हैं।
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: ''यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोsष्टावङ्गानि ॥''
 
=== अष्टाँग योग (धारणा, ध्यान समाधि )
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'''अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरग्रहाः यमा ॥'''