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| type = हिन्दू
| name = '''शनि'''
| other_names = शनीश्वर , सौराष्ट्री , सूर्यपुत्र , श्यामाम्बर , सुवर्णा नन्दन , काकध्वज आदि
| other_names = शनीश्वर
| script_name = देवनागरी
| script = शनि
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== शनिदेव का जन्म ==
[[कश्यप]] ऋषि की कई पत्नियाँ थी जिनमें उन्हें [[अदिति]] से सर्वाधिक प्रेम थाथा। [[अदिति]] के पुत्रों के रूप में [[आदित्य|आदित्यों]] का जन्म हुआ और आदित्यों में दूसरे स्थान पर [[विवस्वान्|विवस्वान]] हैं जिन्हें आज हम सूर्य नारायण कहतें हैंहैं। भगवान [[सूर्य देवता|सूर्य]] ने देवशिल्पी [[विश्वकर्मा]] की दो पुत्रियों से विवाह किया उनके नाम थे [[सरण्यू]] (संज्ञा) और [[सुवर्णा]] (छाया) एक बार सुवर्णा ने भगवान [[शिव]] की घोर तपस्या की और उस तप में उन्होंने अन्न और जल का त्याग कर दिया था जिससे उनके गर्भ में पल रहे बालक का रंग श्याम वर्ण का हो गयागया। शनि के जन्म में [[सूर्य देवता|सूर्य]] ने उन्हें अपना पुत्र भी स्वीकार नहीं किया था जिससे शनि ने भगवान शिव की तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान [[शिव]] ने उन्हें वर दिया कि मनुष्य तो दूर देवता भी उनके नाम से कापेंगे और उन्हें ही मनुष्यों के कर्मों का फल उन्हें प्रदान करना होगाहोगा।
 
== शनि को श्राप ==
ब्रह्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार शनिदेव बचपन से ही भगवान [[विष्णु]] के परम् भक्त थे। बड़े होने पर इनका विवाह [[दक्ष प्रजापति]] की पुत्री दामिनी (नीलिमा) से हुआ। एक बार सन्तान प्राप्ति की इच्छा से शनिदेव की पत्नी दामिनी शनिदेव के पास आई किन्तु शनिदेव उस समय भगवान विष्णु के ध्यान में लीन थे। उनकी पत्नी ने कई प्रयासों से उनका ध्यान तोड़ने का प्रयत्न किया किन्तु सभी प्रयत्न विफल हो गए। क्रोध में उन्होंने शनिदेव को श्राप दिया कि आज से वे जहाँ भी देंखें वहां विनाश हो जाएगा। इसलिए शनिदेव में अपना सिर और नजरें सदा के लिए झुका ली ताकि उनकी दृष्टी से किसी का अहित न हो।
 
== ब्रह्मपुराण के अनुसार, बचपन से ही शनिदेव भगवान [[विष्णु]] के भक्त थे बड़े होने पर इनका विवाह [[दक्ष प्रजापति]] की कन्या नीलिमा (दामिनी) से किया गया इनकी पत्नी परम तेजस्विनी थीं एक बार शनि देव की पत्नी नीलिमा संतान प्राप्ति की इच्छा से शनि देव के पास गईं, लेकिन वह [[विष्णु]] जी की भक्ति में डूबे थे। उनके लाख प्रयास के बावजूद शनि देव का ध्यान नहीं टूटा और उनकी पत्नी के प्रयास व्यर्थ चले गए। इससे क्षुब्ध होकर पत्नी ने शनि देव को श्राप दे दिया कि अगर वे अपनी पत्नी को नहीं देख सकते तो उनकी दृष्टि विच्छेदकारक हो जाएगी यानी वह जहां देखेंगे, वहां विनाश जरूर होगा। ==
 
== शनि की सवारी ==
मूलतःआम तौर पर शनि की दो सवारियां मानी गयीजाती हैं -: पशुओं में भैंसा और पक्षियों में काक लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार शनि की कुल ९ सवारियांसवारियों हैंका उल्लेख पुराणों में है। वे हैं -:
 
* [[नर भैंस|भैंसा]]